महंगाई ने जनता की कमर तोड़ी
.पेट्रोल और डीजल के दामो में अनावश्यक बढ़ोतरी ने जाने-अनजाने में आग में घी का काम किया है, और यही कारण है की विपक्ष ही नहीं,साझा दल भी सरकार के विरोध में खड़े होने को आतुर है..जहाँ का राजा व्यापारी वहां की प्रजा भिखारी वाली कहावत सटीक लगती है क्योकि सरकार जानती है कि फिलहाल चुनाव है नहीं,तो किस बात की रेवडिया बांटी जाए ..पेट्रोल -डीजल के दामो से प्रत्यक्ष रूप से हर वस्तु के भाव आसमान छुने लगे है पर सरकार के कानो पर जूं तक नहीं रेंग रही है.शायद नकेल कसने कि जरुरत है..
आशा है, कि सरकार समय रहते चेतेगी वरना जनता जनार्दन को ही उन्हें आन्दोलन के मार्फत मजबूर करना होगा.जब- जब भी जनता ने जरुरत से ज्यादा नाइंसाफी का सामना किया है ,सरकार को कुछ अंतराल के बाद ही सही, पर दूरगामी परिणाम भुगतने पड़े है और विपक्षी दलों के साथ मिडिया, और जागरुक संगठनो के सहयोग का समावेश इसमें वांछित सफलता उपलब्ध करा सकता है.आपसी विचार विमर्श और निर्णयों में भागीदारी उपलब्ध कराकर सरकार खोयी हुई इज्जत प्राप्त कर सकती है..इस बार की बढ़ी दरों के विरोध में आयोजित भारत बंद का पूर्ण समर्थन शायद सरकार की सुप्त चेतना को जाग्रत करने में सफल हो, यही शुभेच्छा है..
सज्जन राज मेहता
सामाजिक कार्यकर्ता..बंगलोर
9845501150
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