घर का भेदी लंका ढाए
भाई साहिब श्री गुलाब जी की लेखनी घर का भेदी लंका ढाए एक बार फिर प्रमाणित कराती है क़ि किस तरह से चाटुकारिता के दम पर कोई मनचाहा विभाग या उत्तरदायित्व हासिल कर लेते है.परसों का ताजा वाक्या क़ि एक DSP उत्तर प्रदेश की मुख्या मंत्री के जूते साफ कर रहा था और टीवी के माध्यम से करोडो लोगो ने देखा ..हुआ क्या ? .राजनेताओ के जैसे सारे कुओ में भांग भरी हुई लगती है क़ि उनको अपने परिवार या फिर कुछ चाटुकारों के आलावा किसी आम आदमी के बारे में सोचने क़ि फुरसत तक नहीं है.राजनेता भ्रष्टाचा- उन्मूलन क़ी बात सोचे भी तो कैसे..सोचना है, कराना है तो जनता जनार्दन को करना है अतः कमर क़स कर समस्त स्वयं सेवी संस्था हो या स्वयं,हम यह सुनिश्चित करे क़ि कतई भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं देंगे..जिस समाज ने हमें स्रष्टि का सर्वोतम वरदान बनने के अनुकूल बनाया , उसके प्रति हमारे कितने उत्तर-दायित्व है ,इसे हमें कदापि नहीं भुलाना चाहिए...भाई गुलाब जी को साधुवाद क़ि आप इसी तरह सशक्त टिप्पन्नियो से जनता के बीच अलख जगाते रहे..
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