Tuesday, June 26, 2012
भगवान् महावीर के अनुयायिओं क़ी व्यापार के साथ-साथ शिक्षा,शांति ओर सेवा में उनकी भूमिका का आंकलन
समूचे भारत वर्ष में जैन समाज का अपना एक स्थान है..अपनी एक महत्ता है..जैनियों क़ी रग-रग में व्यापारिक गुण मौजूद है,विद्यमान है पर उनके रोम-रोम में जन-जन के लिए करुणा,सेवा,शांति भावना निवासित है तथा हर तबके के लोगों को प्राथमिक शिक्षा सहज सुलभ ह़ो..उस दिशा में काफी अनुमोदनीय प्रयास किये है..तीर्थंकर महावीर के जन कल्याणकारी उपदेशो के प्रभावों से प्रभावित होकर ही सही,जैन समाज के हजारों साधू-सध्विओं (चलते-फिरते तीर्थ कह दू तो कोई आतिशयोक्ति नहीं होगी ) के मुखारबिंद से जिनवाणी के श्रवण से भी सही,जैन आगमो के निरंतर स्वाध्याय से अपने भीतर क़ी आत्म ज्योति को प्रकाशित करते हुए भी सही आज बन्गलोर के कोने कोने में जैन समाज द्वारा संचालित स्वयं सेवी संस्थाए,विद्यालय,विश्व-विद्यालय.,चिकित्सालय,औषधालय,मंदिर,स्थानक भवन,सभा भवन अपने अपने स्तर पर सदुपयोगी सेवाएं सहज सुलभ करा रहे है..व्यापार जितना जीवन यापन के लिए जरुरी है, व्यापारिक गतिविधिया जितनी सामाजिक स्तर पर अपना वजूद कायम रखने के लिए नितांत आवश्यक है ,व्यापारिक गतिविधिया जितनी सरकारी कोषों के भी संरक्षण हेतु भी अवश्यंभावी है..सरकारी राजस्व के आंकड़ो पर गौर फरमाए तो जैनियों का राजस्व प्रदत्त करने में योगदान सराहनीय,प्रशंसनीय ,अनुमोदनीय,अनुकर्णीय तथा अतुलनीय ही ठहराया जाएगा.
जैन समाज के सदस्य बिना किसी लाग लपेट के,भेदभाव के,राजनीति के अपना सर्वस्व अपने उद्यमों को प्रदत्त करते हुए भी सामाजिक गतिविधिओ में बढ़-चढ़ कर हिस्सेदारी निर्वाहित कर रहे है..उन्होंने कभी राजनीति में जरुरत से ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हुए स्वाभिमान को ठेस नहीं पहुचने दी ..चाहे वस्त्र व्यापार,रसायन,कागज,बिजली.कंप्यूटर,ज्वेलरी,सराफा,वित्,या बड़े-२ कल कारखाने ह़ो या किसी भी व्यवसाय में रत हो ..हर जगह अपनी अमिट छाप छोड़ी है..स्वस्थ प्रतिद्वंदिता के साथ व्यापार में रत रह कर कई सामाजिक ओर धार्मिक संस्थानों का कुशल संचालन भी कर रहे है..जैसे भगवान् महावीर कॉलेज,अस्पताल,जैन विद्यालय,सुराना कॉलेज,आदर्श कॉलेज,में आज मात्र जैन समाज के ही नहीं वरन दूर दूर से समूचे दक्षिण भारत के वाशिंदे लाभान्वित ह़ो रहे है..इसी तरह जैन युवा संगठन ,भारतीय जैन संगठन,कर्णाटक मारवाड़ी यूथ फेडेरशन ,जैन यूथ एसोसिअसन,राजस्थान संघ,तेरापंथ समाज,जैन कांफेरेंस,जैन नेत्रालय,कई जैन नवयुवक मंडल,महिला मंडल,बालिका मंडल,विभिन्न जैन स्थानक,मंदिर, तथा भगवान महावीर नेत्रालय.के माध्यम से जनता जनार्दन को प्रचुर मात्रा में सेवा सुलभ कराइ जा रही है..कई सरकारी विद्यालयों को गोद लिया जा चूका है ..कई अनाथ-आश्रमों में हर शेत्र के नवयुवक-नवयुवतिया अपनी जेब खर्च क़ी राशी से सेवा-सुश्रुषा में तल्लीन है..कई महिला मंडल निरंतर शिविरों के माध्यमो से ज्ञान ज्योतो जला रही है..व्यापारी बंधू कई बड़ी -२ TRADE ASS0CIATIONS से जुड़ कर .उनका प्रतिनिधित्व करते हुए समूचे व्यापारी वर्ग को राहत प्रदान करा रहे है..कई यहाँ कि सामजिक गतिविधिओ में जैसे रोटरी.लोएँस,जेसीज,क्लुबों के माध्यम से भी स्वेछिक सेवाएं सुलभ कराइ जा रही है..जैन समाज के सेंकडो से ज्यादा अनुभवी और विलक्षण प्रतिभा के धनी डॉक्टर,चार्टर्ड ACCOUNTANTS ,तकनीकी विशेषज्ञ ,प्रशासनिक सेवाओं में तल्लीन है..
साधन संपन्न होते हुए भी अहंकार रहित जीवन यापन करना तथा देश के राजस्व में निरंतर तल्लीन रहकर लाखो दक्षिण भारतियों को भी रोजगार कम उपलब्ध कराया है....समय-२ पर जैन समाज के सत्कार्यों क़ी गूंज सरकार के सिपाहसलारों से,अन्य समाज के प्रबुद्ध नागरिकों से,धर्म गुरुओं से सुनने को मिलती है ..आप जैसे कई प्रतिष्टित अख़बारों ने भी मुक्त कंठ से प्रशंसा की है तो सहज ही जैन समाज का होने के कारण मन रोमांचित हो उठाता है पर दुसरे ही पल उनके और आप श्री के विश्वास को बनाये रखने हेतु वापस उसी में लग जाता है..जैन समाज आज समूची जनसंख्या के ज्यादा प्रतिशत नहीं होते हुए भी उस प्रतिशत क़ी तुलना में कई ज्यादा महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है..किसी भी वर्ग को सफलता यूँ ही नहीं मिलाती या यों कहू कि सफलता अलादीन के चिराग कि तरह भूमि को फोड़ कर नहीं निकला करती-ना ही किसी अवतार कि तरह आकाश से अवतरित होती है ..कामयाबिया जैनियों के स्वस्थ नजरिये का परिणाम है..उनकी सेवाओं का प्रतिफल है,स्वस्थ मानसिकता की परिणिति है,तीर्थंकरों के आशीर्वादों से फलित है तथा जैन साधू-साध्वियों क़ी आशीषों से सिंचित और पल्लवित हो रही है..जैन समाज ने एक हाथ से लिया तो दुसरे हाथ को देने के लिए खुला छोड़ रखा है..जैसे आकाश में यदि प्रकाश हो और कमल का विकास ना हो ,ऐसा कभी नहीं हो सकता उसी तरह जन -जन के कल्याण क़ी अभिलाषा मन में संजोये जैनी व्यवसाय में सब कुछ दांव पर लगा कर तन्मयता से गतिविधिओं को अंजाम दे और सफलता उनके कदन ना चूमे ...यह भला कैसे हो सकता है..
नई पीढ़ी क़ी सोच भी व्यापक बदलाव को आतुर है और आशा ही नहीं पूर्ण ऐतबार है कि उनके संकल्पों क़ी बदौलत कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं में ज्यादा दिलचस्पी बढ़ेगी यानी विधालयों.अस्पतालों.गौशालाओ तथा कुछ राजनितिक दलों को संरक्षण में भी वे पीछे नहीं रहना चाहते.युवाओं के लिए हर अवसर एक कांच की फूलदानी कि तरह है जो ना मालुम कब हाथ से फिसल जाए--या फिर कागज़ के एक पुडिया की तरह है कि कब पानी कि बूंद से यह गल जाए पर वे ज्यादा सतर्कता तथा बुजुर्गो के अनुभवी मार्गदर्शन में अपनी रोटी बराबर सेंक लेंगे..जरुरत है कि हम युवा सही दिशा में निरंतर आगे बढ़ते हुए समज कि दशा को बदलने में अपनी क्षमताओं की आहुति प्रदान कर संतोष सुख को प्राप्त करे..
आज समाज अनेक समस्याओं से घिरा हुआ है..जैसे आग्रह,विग्रह,आवेश,क्रूरता,आसक्ति,असंयम,अनास्था,पश्चिमी सभ्यता के अन्धानुकरण की व्रती,भ्रूण हत्या,दहेज़ हत्या,वैवाहिक सम्बन्ध विच्छेद,संग्रह मनोवृति,श्रम की उपेक्षा,हिंसा जन्य प्रसाधन सामग्री का प्रयोग ,आतंकवाद और अनेक सम-सामयिक समस्यांए लगातार परेशान कर रही है ..जैन समाज को एक बार फिर ऐसे आयोजनों या तीर्थंकर महा-पुरुषो के जन्म-कल्याणक महोत्सवों पर संत -सतियों से उचित मार्ग दर्शन प्राप्त कर युवा पीढ़ी को राह्भ्रमित की बीमारी से बचाने का सुप्रयास करना है..जैन जीवन शैली के महत्वपूर्ण आयामों का जीवन में प्रवेश कराकर आचरण करना है..सम्यक ज्ञान दर्शन और चरित्र के गुणों को आत्मसात कर समाज अनवरत रूप से सुख ,शांति और सदभाव को कायम रख सकता है..सामजिक व्यवस्थाओ से जुड़े होने के कारण अन्य समाज एवं संघ के सदस्यों को हमसे अपेक्षाए होना स्वाभाविक है,जिस पर हमारा द्रष्टिकोण सुधारात्मक ह़ो, सोने में सुहागा ह़ो जायेगा यदि हम सब मिलकर,अपनी-अपनी क्षमताओ का तड़का लगाकर कुछ सामाजिक रीति-रिवाजों में ह़ो रहे विलासिता-पूर्ण प्रदर्शनों पर अंकुश लगाने क़ी बात मिल कर सोचे तथा युवा वर्ग आगे बढ़कर जन हितार्थ कुछ पाबंदी क़ी सोचे..कोई भी निर्णय थोपा नहीं जाए पर आम सहमति क़ी चेष्टा कर सुप्रयांसो से समाज को तथा समज के वाशिंदों को अवगत कराया जा सके..परम हर्ष का विषय है समस्त मुनि वृन्द भी अतिरिक्त प्रयासों के लिए ज्यादा तत्पर है ओर उनका मार्गदर्शन तथा निर्देशन समाज में नई चेतना का संचार करेगा...विश्व का मंगल हो,प्राणी मात्रा का मंगल हो,सभी के उज्जवल भविष्य क़ी मंगल कामना शुभ भावों के दीये में जलाकर प्रेषित करते हुए हर जन के सहयोग,सानिध्य,स्नेह,सहकार तथा समर्पण क़ी भावना भाता हूँ..
जिंदगी क़ी असली उड़ान अभी बाक़ी है
अपने इरादों का इम्तिहान अभी बाकी है
अभी तो नापी है मुट्ठी भर जमीं
आगे सारा आसमान अभी बाकी है
विशेष आदर सहित..
प्रत्यक्ष ओर अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वालों को अग्रिम में धन्यवाद..
जैन सज्जन राज मेहता
सामाजिक कार्यकर्ता..
098455O1150
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