जय जिनेन्द्र का महत्त्व
''जय जिनेन्द्र'' कहना जैनत्व की प्रमुख पहचान है। हम पूरे दिन में शायद भगवान का स्मरण करने के लिए समय न निकल पाए , लेकिन जय जिनेन्द्र कहने से हम स्वतः जिनेन्द्र परमात्मा को नमस्कार करते हैं। वो भी सिर्फ एक या 2 तीर्थंकर को नहीं, बल्कि भूत, भविष्य व वर्तमान के सभी तीर्थंकर की जय बुलाने का लाभ मिलता है।
एवं जिसे हम जय जिनेन्द्र कह रहे हैं , उसकी आत्मा भी ''जिन'' बनने का सामर्थ्य रखती है। तो हम उस जिन को भी वंदन करते है और उसकी आत्मा से भी सम्बन्ध जोड़ , मैत्री भाव भा पाते हैं।
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