राजस्थान पत्रिका के जाकेट पर प्रतिक्रया
हम सब पशु नहीं , पशु से बदतर है
पशु के अंतर्मन के उदगार
हम ऐसा क्या जतन करे कि मानव जाती को हम पर रहम आ जाए
ऐसा क्या करे की इन राह भटको को हम पर करुना आ जाए
मेरे परवर दिगार , मेरे खुदा , मेरे मालिक ,हमें अपने आगोश में ले ले
पर कुछ ऐसी रहमत बरसा दे की मानव जाति को यह भान आ जाए
पशु और मानव जाती के समन्वय में ही दोनों का बड़ा पार है
हम एक दुसरे के पूरक बने इसी में संसार का सार है , सार है
लेखक
जैन सज्जन राज मेहता
सामाजिक कार्यकर्ता
बैंगलोर
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