Monday, January 20, 2014
भारत में जैन समाज बना छठा अल्पसंखक समाज
भारत में जैन समाज बना छठा अल्पसंखक समाज
* कैबिनेट में चर्चा कर पास* जैन समाज भी अल्पसंखक समाज घोषित
जैन समन्वय समिति तथा जैन युवा संगठन भी इस हेतु सतत प्रयत्नशील रहे है तथा हम इनकी अनुमोदना करते है । सरकार या यह निर्णय नि;संदेह अनुमोदनिय है और हम भरपूर प्रशंसा करते है। JSF के साथ हम निरंतर संपर्क में रहे और आशा ही नहीं , पूर्ण विशवास है कि शीघ्र ही नोटिफिकेशन आने के बाद और जरुरी औपचारिकताएं भी पूर्ण हो जायेगी।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना भारत की संसद के द्वारा 1992 के 'राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम' के नियमन के साथ हुई थी। इस आयोग का गठन पाँच धार्मिक अल्पसंख्यकों मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध एवं पारसी समुदाय के हितों की रक्षा के लिए किया गया है। अब इसमें जैन समाज का भी समावेश होगा।
आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और पाँच सदस्य होते हैं, जो अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मणिपुर, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल में भी राज्य अल्पसंख्यक आयोगों का गठन किया गया है। इन आयोगों के कार्यालय राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना भारत की संसद के द्वारा 1992 के 'राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम' के नियमन के साथ हुई थी। इस आयोग का गठन पाँच धार्मिक अल्पसंख्यकों मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध एवं पारसी समुदाय के हितों की रक्षा के लिए किया गया है।और अब इसमें जैन समाज का भी समावेश होगा।आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और पाँच सदस्य होते हैं, जो अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मणिपुर, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल में भी राज्य अल्पसंख्यक आयोगों का गठन किया गया है। इन आयोगों के कार्यालय राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं।[अल्पसंख्यक आयोग को संसद द्वारा 1992 के 'राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम' के तहत 'राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग' बनाया गया। कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 23 अक्टूबर, 1993 को अधिसूचना जारी कर अल्पसंख्यक समुदायों के तौर पर पाँच धार्मिक समुदाय यथा- मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध एवं पारसी समुदायों को अधिसूचित किया गया था। 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या में पाँच धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों का प्रतिशत 18.42 था' राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग' को निम्न कार्यों का दायित्व निभाना पड़ता है-
*संघ तथा राज्यों के अर्थात अल्पसंख्यकों की उन्नति तथा विकास का मूल्यांकन करना।
*संविधान में निर्दिष्ट तथा संसद और राज्यों की विधानसभाओं/परिषदों के द्वारा अधिनियमित क़ानूनों के अनुसार अल्पसंख्यकों के संरक्षण से संबधित कार्यों की निगरानी करना।
*केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकारों के द्वारा अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए संरक्षण के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए अनुशंसा करना।
*अल्पसंख्यकों को अधिकारों तथा संरक्षण से वंचित करने से संबधित विशेश शिकायतों को देखना तथा ऐसे मामलों को संबधित अधिकारियों के सामने प्रस्तुत करना।
*अल्पसंख्यकों के विरुद्ध किसी भी प्रकार के भेदभाव से उत्पन्न समस्याओं के कारणों का अध्ययन और इनके समाधान के लिए उपायों की अनुशंसा करना।
*अल्पसंख्यकों के सामाजिक आर्थिक तथा शैक्षणिक विकास से संबधित विषयों का अध्ययन, अनुसंधान तथा विश्लेषण की व्यवस्था करना।
*अल्पसंख्यकों से संबधित ऐसे किसी भी उचित कदम का सुझाव देना, जिसे केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकारों के द्वारा उठाया जाना है।
*अल्पसंख्यकों से संबधित किसी भी मामले विशेषत: उनके सामने होने वाली कठिनाइयों पर केन्द्रीय सरकार हेतु नियतकालिक या विशेष रिपोर्ट तैयार करना।
*कोई भी अन्य विषय जिसे केन्द्रीय सरकार के सामने प्रस्तुत किया जा सकता है।
Thanks a lot..
Regards..
जैन सज्जन राज मेहता
संयोजक
जैन समन्वय समिति
NATIONAL MINORITY STATUS FOR JAINS FINALLY
NATIONAL MINORITY STATUS FOR JAINS FINALLY
RESPECTED SIR / MADAM
WE WELCOME THE NEWS AND CONVEY OUR HEARTFELT THANKS TO THE HON'BLE PRIME MINISTER ,UPA CHAIRPERSON SMT.SONIA GANDHIJI, SRI RAHUL GANDHI JI AND UNION MINISTER SRI R
AHMAN KHAN SAHIB PARTICULAR...
WE ARE EXTREMELY THANKFUL TO UPA GOVERNMENT IN TOTAL AND ONE AND ALL WHO HAS WHOLE-HEARTEDLY SUPPORTED THE JAIN COMMUNITY TO GET A NATIONAL MINORITY STATUS...IT IS A GREAT ACHIEVEMENT AND DEFINITELY JAIN COMMUNITY AS EVERYONE THINKS AND DESIRES WILL USE IT IN
NATION BUILDING AND FOR THE WELFARE OF ONE AND ALL ONLY
We have been denied Minority status so many years though as per Indian census 2001 we are just 42 lakhs among 100 crore enumerated.. What we get through Minority status is right to establish and administer our temples, institutions, educational trusts, museums, preserve our culture, heritage and belief to the best of our own hands without Government interference.
Just think for a moment and calculate money spent by Jain samaj all over India on temples, sthankas, bhavans, educational institutions, Goshalas, medical hospitals , dispensaries, pinjarapoles, ancient heritage, monuments, book banks, blood banks, artificial limbs centers, reserach centers for Jainlogy and administrative training foundation. As per consensus it is believed that in last 66 years since independence our community has spent more than 100 billion rupees in various assets and institutions and every year as per conservative estimate we spend almost
thousands of crores in ch arity... Most of us have done all these selflessly, out of compassion and empathy.
Times have changed since independence We don't have quality of leadership which respects our ethos, sacrifices. Most of political class fight for power to amass wealth at the cost of people, They can pass any order and take over all our assets by a stroke of pen. But
once we have Constitutional status of Minority, we have protection and they will not dare to harm or hurt us.
. We are a peace loving community.We cant fight like others do. We can only file court cases when our assets come under challenge but the way our system works, it will take 30-40 years to get justice and by that time all our assets will be squandered. What answer we will give to posterity and our departed souls of ancestors if we cant preserve them?
Just think: Girnarji in Gujarat is our sacred Tirth for ages. Our 22 nd Tirthankar Lord Neminathji attained Nirvana but two of hills have already been taken over by vested interest as some agitation was engineered saying he was God of tribals. The objective is to loot forest wealth. What is heritage to us is just wealth for some one.
Time has come to think afresh. We should claim our rightful constitutional status not for gaining employment or some benefits but to preserve our religion, heritage and culture for posterity. We are already reduced to small numbers but what is in freestore for future should cause ripples within us
Please support
us and highlight the success of the agitation as we all have a collective duty towards our culture and heritage to protect and administer what we created out of sweat
Thanks a lot..
Regards..
Sajjan Raj Mehta..
CHAIRMAN..JAIN CO-ORDINATION COMMITTEE
Ex President.Jain Yuva Sangathan,Bangalore
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