Sunday, December 21, 2014

गौ -ह्त्या निषेध पर राजनिति की रोटी सेकना हास्यास्पद

press-release गौ -ह्त्या निषेध पर राजनिति की रोटी सेकना हास्यास्पद कल कर्नाटक विधान सभा में पूर्व भाजपा सरकार द्वारा पारित गौ ह्त्या निषेध विधेयक २०१२ को वर्तमान कांग्रेस सरकार द्वारा वापिस लिया जाना दुर्भायपूर्ण है तथा समस्त जैन और हिन्दू समाज आक्रोशित और आंदोलित है तथा इसके दुष्परिणामों से गौ ह्त्या में बढ़ोतरी से विचलित भी है। हाल ही में पिछले माह में भी केंद्रीय और राज्ज्य सरकार से हमने समूचे हिन्दुस्तान में गौ हत्या निषेध की मांग की थी और ज्ञापन संलग्न है। ​..एक एक गाय की निर्मम हत्या आने वाले कल को​ ​काफी भरी पड़ेगी..तमाम सामाजिक और धार्मिक संगठनो का यह​ ​पुनीत कर्त्तव्य है कि इस विधेयक को वापस लिए जाने का पुरजोर विरोध करे तथा शीघ्र ही पर नए सिरे से गौ ह्त्या निषेध हेतु आंदोलन को अंजाम दे। सभी राजनितिक दलों से करबद्ध प्राथना है कि इस विषय कतई ना हो तथा हम कर्नाटक सरकार के इस एकतरफा निर्णय की भर्तसना करते है। सधन्यवाद जैन सज्जन राज मेहता सामाजिक कार्यकर्ता ---------- Forwarded message ---------- From: "Sajjanraj Mehta" Date: 8 Oct 2014 09:29 Subject: ​ समूचे हिंदुस्तान ​ में भी गौ-हत्या निषेध कानून पारित हो To: , , "cm" , "Chief Minister of Karnataka cm.kar" , , ​ ​ प्रेस-समाचार ​​ ​समूचे हिंदुस्तान ​में भी गौ-हत्या निषेध कानून पारित हो गौ विश्व क़ी माता है. कटती गाय करे पुकार,बंद करो यह अत्याचार.. देश पर शासन वह करेगा जो गौ हत्या बंद करेगा.. सब सज्जनों क़ी यही पुकार,गौ हत्या अब नहीं स्वीकार इश्वर की इस महान विभूति "गौ माता"को विकृत करने का हमें कोई​ ​अधीकार नहीं है और वह भी उदर-पोषण मात्र के लिए..कतई​ ​नहीं..सभ्य समाज का कोई नागरिक यह घोर अत्याचार kis​​i​ ​कीमत पर बर्दाश्त नहीं कर पायेगा..कातरता से ताकते हुए पशुओकी हत्या या उन पर प्रहार मात्र भी न्रशुन्श्ता का परिचय है..इश्वरकी कृतियों को प्यार करना ही इश्वर की सबसे बड़ी आराधना है​ ​यदि हम केवल जीव मात्र के प्रति दया.करुणा,स्नेह आदि का​ ​व्यवहार करे तो भगवन हम पर प्रस्सन होंगे..कल्पना करे कि आज​ ​जो "सेव बाघ" कि धूम पुरे देश में मची है,वह कल गौ माता के लिए​ ​नहीं चलानी पड़े..एक एक गाय की निर्मम हत्या आने वाले कल को​ ​काफी भरी पड़ेगी..तमाम सामाजिक और धार्मिक संगठनो का यह​ ​पुनीत कर्त्तव्य है कि इस मुहिम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले और आरहे तमाम अवरोधों का विध्वंस कर दे ..जब सरकार इतनी​ ​दरिया-दिली दिखा रहो तो जन-जन का सहयोग इस सत्कार्य को​ ​भली-भांति अंजाम तक पहुंचा देगा वरना हाथ ही मलते रहजायेंगे.. सरकार से कर-बढ़ प्रार्थना है कि जन-हित में बन्दर​ ​घुड़कियों को तवज्जो कतई ना दे तथा देशहित को ध्यान में रखतेहुए पशु-धन की रक्षार्थ कठोरता से निर्णय को असली जामापहनाये..देश के निर्माण सूत्र में तीन शब्द महत्वपूर्ण है​ ​निर्णयन,उन्मूलन और संवर्धन..​प्रधान मंत्रीजी ​ जी को चाहिए कि सभीपक्षों को शांति-पूर्वक इस बारे में सहमति बनाने कि दशा में प्रेरितकरे और खुले दिल से बहस हो..सरकारे आती-जाती रहती है पर इसजीवन में सत्तासीन रहते हुए -हिन्दू संस्कृति कि रक्षा हेतु यदि​ ​हलाहल का उफनता प्याला भी पीना पड़े, आग के दरिया में भी​ ​कूदना पड़ जाए तो भी कभी नहीं हिचकिचाए.. आपके सानिध्य में यदि प्राण-दान के मूल्य पर भी ​हिंदुस्तान ​ का मस्तक "गौ-हत्यानिषेध" के कारण विश्व के समक्ष ऊँचा कर पाएंगे तो आपका जीवनधन्य-धन्य हो जाएगा..गौ-माताओं को आपके द्वारा प्रदत यहअभय-दान हिंदुस्तान में स्वर्णाक्षरों में मढ़ा जाएगा..और फिरगौ-हत्या निषेध क़ी बात हिंदुस्तान में नहीं तो और कहाँ शोभनीयहोगी..महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंदजी ने ठीक ही फरमाया है; कि अहंकार शुन्य होकर एवं वैयक्तिक लाभ को ध्यान में नारखकर की गई समाज सेवा ही श्रेयस्कर है; - .. : आशा ही नहीं परम विशवास है कि महामहिम महोदय जनहित में कोई भी राजनितिक दबाव के आगे विपरीत फैसला नहीं सुनायेंगे और करोंडो गौ-प्रेमी बंधुओ कि दुआएं हासिल करेंगे..अहिंसा परमो धर्म ;.. छिद्रय्मय हो नाव,डग-मग चल रही मंज्धार में, दुर्भाग्य से जो पड़ गई ,दुर्देव के अधिकार में, तब शरण होगा कौन, जब नाविक दुबाड़े धार में, संयोग सब अशरण ,शरण कोई नहीं संसार में.. धन्यवाद ... पूर्व अध्यक्ष ..जैन युवा संगठन ..बन्गलोर सामजिक कार्यकर्ता 9845501150 ​C.C. TO THE PRIME MINISTER THE GOVERNOR,KARMNATAKA THE CHIEF MINISTER,KARNATAKA THE UNION FINANCE MINISTER​

भारतीय जैन संगठन का युवक युवती परिचय सम्मलेन सुसम्पन्न

भारतीय जैन संगठन का युवक युवती परिचय सम्मलेन सुसम्पन्न भारतीय जैन संगठन , बगलोर द्वारा जैन समाज के युवक - युवतियों का परिचय सम्मलेन ( केवल परा स्नातक एवं प्रोफेशनल स्नातक -POST GRADUATE & PROFESSIONAL GRADUATE ONLY ) बंगलौर में आज सवेरे 9 बजे से बी बी यू एल विद्यालय में आयोजित हुआ । राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रफ्फुल पारेख,राष्ट्रीय मंत्री राजेंद्र लुंकड , तामिलनाडु प्रभारी श्रीओम जी लुणावत ,कर्नाटक अध्यक्ष श्री गौतम बाफना ,तामिलनाडु अध्यक्ष ज्ञान जी आंचलिया , बंगलोर अध्यक्ष सुरेश धोका मंचासीन थे।रसीला बाई ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया तथा सभी मंचासीन अतिथिओ और कुमारपाल जी सिसोदिया,बाबूलाल पारख ,किशन जी कोठारी तथा कर्नाटक मंत्री सुरेश जीरावला तथा संयोजक ,परिचय सम्मलेन सज्जन राज मेहता ने दीप प्रज्ज्वलित किया। बंगलोरे अध्यक्ष सुरेश धोका ने स्वागत भाषण तथा कर्नाटक अध्यक्ष गौतम बाफना ने संगठन के कार्य कलापों की जानकारी दी।समारोह में कुल 65 युवक युवतिओं ने हिस्सा लिया तथा हर युवक युवती ने आगे आकर राष्ट्रीयअध्यक्ष प्रफ्फुल पारेख के हर प्रश्न का सटीक जवाब दिया तथा समूची जानकारी उपलब्ध कराई। परिचय सम्मलेन क्यों और उसके क्या फायदे उस्के बारे में पूरा विवरण भी प्रफ्फुल भाई ने रखा। परिचय सम्मलेन का माहौल खुशनुमा बनाने में प्रफ्फुल पारख की भूमिका शानदार रही। सभी वक्ताओं ने परिचय सम्मलेन को आज के वर्तमान परिपेक्ष में समय की जरुरत बताते हुए संगठन की मुक्त कंठ से प्रशंसा की । सभी अतिथिओ का स्वागत बंगलोरे कोषाध्यक्ष रमेश बोहरा,सह संयोजक पंकज कटारिया और पंकज मेहता,तथा कार्यकर्ता सुभाष गोटावत ,प्रवीण लालवानी आदि ने किया। कार्यक्रम का संचालन सज्जन राज मेहता ने तथा धन्यवाद बंगलोरे मंत्री विनोद पोरवाल ने ज्ञापित किया। सम्मलेन विशेष सफल रहा तथा बाद में युवक युवतिओं ने अपने परिजनों के साथ विशेष चर्चा कर बातचीत को आगे बढ़ाया। प्रतिभागी युवक युवतिओं ने हर संभव सहयोग का आश्वासन देते हुए संगठन कृतज्ञता व्यक्त की। सधन्यवाद जैन सज्जन राज मेहता संयोजक कर्नाटक परिचय सम्मलेन 09845501150

Sunday, October 12, 2014

ADVERSE IMPACT OF ONLINE SALES ON MSME ?

PRESS - RELEASE ADVERSE IMPACT OF ONLINE SALES ON MSME ? This feeling is on behalf of all businessmen who are in retail and semi whcolesale business. We businessmen are happy to see a person of positive energy and sprit as our Prime Minister. We dominate to 80% retail business in india as small and medium entrepreneurs and more than 20 crores are employed in such organisations.. Since last two years online business had started penetrating into the retail business with negative pricing being funded by foreign institutions to destablise businessmen like us. The scenerio is to such extent the online portal such as AMAZON / FLIPKART / SNAPDEAL /EBAY etc. have discounted the price to the tune of 30% from the wholesale landing price. These people are trying to spoil the total atmosphere of business. Intention may be anything ? These people are creating a vaccum for bigger retail store of foriegn investment. These people are driving innocent public of our country away from the small and medium store which is a back bone of Indian economy where people are self employed and provide employment to the tune of 30% of indian population. In the name of FDI these people are entering in our economy spoiling the earning of our country and they will initially discount the prices and change the habit of customer and then these portals will be purchased by bigger international Giants and start making real profit thereafter and take our revenue to their country. They shall employ few lakhs of skilled employees, but what about crores of unskilled and semiskilled labourers whom we have provided employment. If this is going to continue we see a dark future...There will be only servants and labourers and no one can be entrepreneurs in our country in this scenario.. we shall be limited to only salaried class. Let us appeal to our beloved Prime Minister to take necessary action to arrest negative business being promoted by these online portals and save our country's valuable revenue being looted by these multinationals and so called antinationals who are killing this basic economy for their personal gains. It's the right time for we MSME businessmen also to pledge that we will not sell our products through such portals who promote negative sales. We are the one who support these looters by providing our products to be sold at undercost. Please donot provide materials if your product is sold below cost. This will ultimately kill the MSME as we are making them powerful by selling or buying products through them. I understand we have no other option left other than to sell products through them. Let us think for few moments what we are going to achieve by supporting them. think again and decide for nation.. An appeal : THROUGH YOUR ESTEEMED MEDIA , WE REQUEST TO THE GOVERNMENT TO HAVE A DETAILED DISCUSSION WITH MSME, TRADE ASSOCIATIONS, BUREAUCRACY & CONCERNED MINISTRY TO CHALK OUT A BETTER STRATEGY FOR PERFECT BUSINESS ENVIRONMENT...I STRONGLY FEEL ANY WRONG POLICY OR MOVE TAKEN UNDER PRESSURE FROM A FEW GIANTS , WHO ARE STARVED FOR CAPITAL INFUSION FOR THEIR FUTURE SURVIVAL...I AM HOPEFUL THAT OUR PRIME MINISTER WILL NOT ALLOW ANY DISRUPTION OF THE PREVAILING SYSTEM OF RETAIL TRADING & SAFEGUARD MSME SECTION OF INDIAN SOCIETY.. THANKS A LOT.... WITH KINDEST REGARDS... SAJJAN RAJ MEHTA TRADE ACTIVIST 09845501150 EX.PRESIDENT..KARNATAKA HOSIERY & GARMENT ASSN. VICE CHAIRMAN..INTERNAL TRADE COMMITTEE.. FKCCI..BLORE MEMBER...CAIT...DELHI MEMBER...BHARTIYA UDHYOG VYAPAR MANDAL..DELHI

​समूचे हिंदुस्तान ​ में भी गौ-हत्या निषेध कानून पारित हो

प्रेस-समाचार ​​ ​समूचे हिंदुस्तान ​ में भी गौ-हत्या निषेध कानून पारित हो गौ विश्व क़ी माता है. कटती गाय करे पुकार,बंद करो यह अत्याचार.. देश पर शासन वह करेगा जो गौ हत्या बंद करेगा.. सब सज्जनों क़ी यही पुकार,गौ हत्या अब नहीं स्वीकार इश्वर की इस महान विभूति "गौ माता"को विकृत करने का हमें कोई ​ ​ अधीकार नहीं है और वह भी उदर-पोषण मात्र के लिए..कतई ​ ​ नहीं..सभ्य समाज का कोई नागरिक यह घोर अत्याचार kis ​​ i ​ ​ कीमत पर बर्दाश्त नहीं कर पायेगा..कातरता से ताकते हुए पशुओकी हत्या या उन पर प्रहार मात्र भी न्रशुन्श्ता का परिचय है..इश्वरकी कृतियों को प्यार करना ही इश्वर की सबसे बड़ी आराधना है ​ ​ यदि हम केवल जीव मात्र के प्रति दया.करुणा,स्नेह आदि का ​ ​ व्यवहार करे तो भगवन हम पर प्रस्सन होंगे..कल्पना करे कि आज ​ ​ जो "सेव बाघ" कि धूम पुरे देश में मची है,वह कल गौ माता के लिए ​ ​ नहीं चलानी पड़े..एक एक गाय की निर्मम हत्या आने वाले कल को ​ ​ काफी भरी पड़ेगी..तमाम सामाजिक और धार्मिक संगठनो का यह ​ ​ पुनीत कर्त्तव्य है कि इस मुहिम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले और आरहे तमाम अवरोधों का विध्वंस कर दे ..जब सरकार इतनी ​ ​ दरिया-दिली दिखा रहो तो जन-जन का सहयोग इस सत्कार्य को ​ ​ भली-भांति अंजाम तक पहुंचा देगा वरना हाथ ही मलते रहजायेंगे.. सरकार से कर-बढ़ प्रार्थना है कि जन-हित में बन्दर ​ ​ घुड़कियों को तवज्जो कतई ना दे तथा देशहित को ध्यान में रखतेहुए पशु-धन की रक्षार्थ कठोरता से निर्णय को असली जामापहनाये..देश के निर्माण सूत्र में तीन शब्द महत्वपूर्ण है ​ ​ निर्णयन,उन्मूलन और संवर्धन.. ​प्रधान मंत्रीजी ​ जी को चाहिए कि सभीपक्षों को शांति-पूर्वक इस बारे में सहमति बनाने कि दशा में प्रेरितकरे और खुले दिल से बहस हो..सरकारे आती-जाती रहती है पर इसजीवन में सत्तासीन रहते हुए -हिन्दू संस्कृति कि रक्षा हेतु यदि ​ ​ हलाहल का उफनता प्याला भी पीना पड़े, आग के दरिया में भी ​ ​ कूदना पड़ जाए तो भी कभी नहीं हिचकिचाए.. आपके सानिध्य में यदि प्राण-दान के मूल्य पर भी ​हिंदुस्तान ​ का मस्तक "गौ-हत्यानिषेध" के कारण विश्व के समक्ष ऊँचा कर पाएंगे तो आपका जीवनधन्य-धन्य हो जाएगा..गौ-माताओं को आपके द्वारा प्रदत यहअभय-दान हिंदुस्तान में स्वर्णाक्षरों में मढ़ा जाएगा..और फिरगौ-हत्या निषेध क़ी बात हिंदुस्तान में नहीं तो और कहाँ शोभनीयहोगी..महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंदजी ने ठीक ही फरमाया है; कि अहंकार शुन्य होकर एवं वैयक्तिक लाभ को ध्यान में नारखकर की गई समाज सेवा ही श्रेयस्कर है; - .. : आशा ही नहीं परम विशवास है कि महामहिम महोदय जनहित में कोई भी राजनितिक दबाव के आगे विपरीत फैसला नहीं सुनायेंगे और करोंडो गौ-प्रेमी बंधुओ कि दुआएं हासिल करेंगे..अहिंसा परमो धर्म ;.. छिद्रय्मय हो नाव,डग-मग चल रही मंज्धार में, दुर्भाग्य से जो पड़ गई ,दुर्देव के अधिकार में, तब शरण होगा कौन, जब नाविक दुबाड़े धार में, संयोग सब अशरण ,शरण कोई नहीं संसार में.. धन्यवाद ... पूर्व अध्यक्ष ..जैन युवा संगठन ..बन्गलोर सामजिक कार्यकर्ता 9845501150 ​C.C. TO THE PRIME MINISTER THE GOVERNOR,KARNATAKA THE CHIEF MINISTER,KARNATAKA THE UNION FINANCE MINISTER​

Sunday, July 13, 2014

THANKS A TON TO THE HON'BLE PRIME MINISTER & FINANCE MINISTER

PRESS-RELEASE THERE WAS A STRONG BUZZ OR POSSIBILITY THAT EXCISE MIGHT RETURN ON READY-MADE GARMENTS BUT THANKS TO OUR EFFORTS AND MEDIA'S SUPPORT IN THE RIGHT DIRECTION WITH ALL INDIA GARMENT ASSOCIATIONS TOO RAISING IT AND TEXTILE MINISTRY TOO ENDORSING IT, EXCISE IS NOT IMPOSED...MUMBAI & DELHI ARE GARMENT HUBS AND ASSEMBLY ELECTIONS IN THESE STATES TOO HELPED US A LOT... WE ARE THANKFUL TO ​ HON'BLE PRIME MINISTER SRI ​ MODIJI AND ​UNION FINANCE MINISTER SRI ​ JAITELY JI FOR PROVIDING US A GROWTH ORIENTED BUDGET AND SPECIALLY BOOSTING THE MANUFACTURING SECTOR,INFRASTRUCTURE AND INSURANCE SECTOR.....ANNOUNCEMENT OF 6 TEXTILE CLUSTERS AND ONE IN MYSORE IS SIMPLY SUPERB WHICH WILL BE CREATING MORE JOBS... ​EXCISE ON READY-MADE GARMENT SHOULD NEVER BE IMPOSED ON RMG IN FUTURE TOO & APPAREL INDUSTRY WILL CREATE MORE AND MORE JOB OPPORTUNITIES ​FOR THE UNEMPLOYED YOUTHS AND WOMEN ... THANKS A TON...MY SINCERE REGARDS SAJJAN RAJ MEHTA CHAIRMAN..TAXATION COMMITTEE..& EX.PRESIDENT,,.KARNATAKA HOSIERY AND GARMENT ASSOCIATION (KHAGA )

Friday, June 27, 2014

our humble request-excise on branded garment is not required

27.6.14 TO, THE HON'BLE UNION FINANCE MINISTER, LOK - SABHA, NEW DELHI.. RESPECTED SIR SUBJECT ; PRE- BUDGET MEMORANDUM SEASON'S GREETINGS ENTIRE KARNATAKA TRADE & INDUSTRY IS WITH ME IN CONGRATULATING YOU & OUR DYNAMIC PRIME MINISTER FOR SUPERB VICTORY WITH A THUMPING MAJORITY.. STABLE GOVERNMENT IS THE NEED OF THE DAY & WE ARE THANKFUL TO SRI MODI JI THAT TO PROVIDE INDIA A GREAT JOURNEY OF SUCCESS TOWARDS PROSPEROUS ECONOMY OF OUR COUNTRY , YOU HAVE BEEN GIVEN THE PRIME RESPONSIBILITY AS UNION FINANCE MINISTER..YOUR PAST RECORD AS A ABLE ADMINISTRATOR WAS QUITE ENOUGH FOR IT... Hope and trust that under your able guidance Indian economy will prosper further and further..what-ever reforms the Union Government is implementing will be fruitful for the trade & in ​It is with considerable shock and surprise that we have been reading reports in various Newspapers that the Finance ministry is considering making Excise Duty on Branded Garments compulsory once again. Whilst these are of course unconfirmed reports, it would not be out of place here to reiterate the disastrous impact of such a step, if at all being considered by the Government: 1. The definition of a “Brand” under Excise Laws includes any Garment, which has a name, or logo, or symbol or any other identification mark on the product or package. Since all Garments are sold with some label or the other, IT IS IMPORTANT TO NOTE THAT EXCISE WILL BE LEVIED ON ALL GARMENTS, AND NOT MERELY ON THOSE MEANT FOR THE RICH AND WELL OFF. 2. Since 80% of the Industry is still in the Small Scale Sector, this move will be a major deterrent to the survival and growth of these small manufacturers. 3. Every time Government has levied Excise on Garments in the past, we have seen that the growth of the Organized Sector has been adversely affected, as this sector cannot compete with the Unorganized Sector, which does not form part of the tax paying fraternity of the Industry. 4. Whenever Excise has been introduced, one has observed a shift to the Grey Market, with the Government losing out even on the other forms of taxes such as Income Tax, VAT, etc. 5. The assumption loss of Rs.1200 crores in Excise is a misconception, as the Industry is not enjoying any CENVAT benefits today. However, if Excise is made compulsory, manufacturers will also be entitled to take CENVAT Credit, which will reduce the Net collection to hardly Rs.300 to Rs.350 crores. 6. Nearly 50% of a Brand’s annual Sales are made at Discounted Rates, ranging from 30% to 70%. However, Excise Duty, which is levied at the time of dispatch from the Factory, is calculated on the full price. Therefore, the burden of Excise on the Consumer, is nearly twice than the intended levels. 7. For many of the International Brands coming to India, the current exemption from Excise Duty provides a huge incentive to them for increasing sourcing from Indian Manufacturers – as it is cheaper to source from India than import. However, with compulsory Excise, this advantage will be wiped out. INTERNATIONAL BRANDS WILL PREFER TO IMPORT THEIR REQUIREMENTS RATHER THAN MANUFACTURE IN INDIA, REDUCING OUR OWN MANUFACTURING AND EMPLOYMENT. 8. With the current Government’s emphasis on encouraging Manufacturing and Job Creation, this move is in complete contradiction, and will reverse the increasing focus on local manufacturing. ON ONE HAND WE ARE ALLOWING FREE IMPORTS FROM MORE AND MORE COUNTRIES AND ON THE OTHER HAND DISCOURAGING DOMESTIC MANUFACTURING AND JOB CREATION. 9. It has been seen that the Industry has moved to an Investment phase after a hiatus of 3–4 years, and this move will once again put a brake on such plans. INVESTMENTS MEAN JOBS. LACK OF INVESTMENT MEANS LACK OF JOB INCREASES. GST will be coming in 8 months, hence request to continue with optional system of excise for the intervening period. The textile industry is highly fragmented and un-organised – it would be very difficult for the industry to register and get acquainted with a new set of laws for just 8 months. The industry is paying VAT, hence they are well acquainted with how to function on similar type of tax system. Hence they are equipped to understand and comply with GST system as and when it comes. The industry is reeling due to low growth of consumption for textiles due to high inflation in food items, hence at this stage wont be possible to pass on the additional impact to the consumer. This would hit production and employment in the garment industry. The industry would stop growth, as they will not want to cross the threshold of excise limit and get into the net. Memories of the last time it was imposed, has put a big fear in the industry – they have paid huge fines and penalties for non-compliance of small issues, which they did not understand or have the capability to comply with. Bangladesh and Sri Lanka has duty free access to the country – the optional system gives domestic producers a shield which ensures that the local market isn't flooded by cheap goods from bordering countries who have a low cost structure. We will be happy to discuss these issues in person if there is need... ​kindly oblige garment trade and industry by not imposing the excise as earlier 2 times it was withdrawn due to negative impact...​ WITH KINDEST REGARDS SAJJAN RAJ MEHTA EX.PRESIDENT .KARNATAKA HOSIERY AND GARMENT ASSN BANGALORE CHAIRMAN..TAXATION COMMITTEE..KHAGA MEMBER..STATE TAXES COMMITTEE..FKCCI 09845501150

Tuesday, June 10, 2014

PRE- BUDGET MEMORANDUM TO THE UNION FINANCE MINISTER

​ 11.6.14 TO, THE HON'BLE UNION FINANCE MINISTER, LOK - SABHA, NEW DELHI.. RESPECTED SIR SUBJECT ; PRE- BUDGET MEMORANDUM SEASON'S GREETINGS ENTIRE KARNATAKA TRADE & INDUSTRY IS WITH ME IN CONGRATULATING YOU & OUR DYNAMIC PRIME MINISTER FOR SUPERB VICTORY WITH A THUMPING MAJORITY.. STABLE GOVERNMENT IS THE NEED OF THE DAY & WE ARE THANKFUL TO SRI MODI JI THAT TO PROVIDE INDIA A GREAT JOURNEY OF SUCCESS TOWARDS PROSPEROUS ECONOMY OF OUR COUNTRY , YOU HAVE BEEN GIVEN THE PRIME RESPONSIBILITY AS UNION FINANCE MINISTER..YOUR PAST RECORD AS A ABLE ADMINISTRATOR WAS QUITE ENOUGH FOR IT... Hope and trust that under your able guidance Indian economy will prosper further and further..what-ever reforms the Union Government is implementing will be fruitful for the trade & industry .. PHASING OUT CST We would like to divert your kind attention that yet CST has not been phased out and we from the trade and industry are regularly paying CST@2%yet..It is a long pending demand from us to phase out the CST in total.. long back it should have been @0%... The department concerned in all States of India fail to provide 'c' forms in right time to traders for the reasons best known to them . In Karnataka situation might be different as compared to others but yet we feel it puts additional work load on traders and compels them to bear the burnt of red-tapism,harassment & corruption.. Currently VAT & INCOME TAX AUDIT is required on the turnover of Rupees @10000000/- which could be increased to Rupees @20000000/- to help the medium segment of traders .. We traders will consider it a much deserving gift & the way the inflation has gone up it will help us a bit.. GST is due but no road map or guide lines yet so we will be highly obliged if we have the proper information in well advance... WISH THE UP-COMING UNION BUDGET A HAPPENING SUCCESS...WE TRUST THAT YOU WILL LEND YOUR PERSONAL ATTENTION TO OUR ABOVE MENTIONED SUGGESTIONS & LEAVE NO STONE UN - TURNED TO ISSUE NECESSARY ORDER FOR THEIR IMPLEMENTATION AT THE EARLIEST.. WITH KINDEST REGARDS.. THANKS A LOT.. YOURS FAITHFULLY SAJJAN RAJ MEHTA EX.PRESIDENT..KARNATAKA HOSIERY AND GARMENT ASSOCIATION CHAIRMAN..TAXATION COMMITTEE..K H A G A 09845501150

Friday, May 30, 2014

E-filing of all purchases and sales ..MEMO TO THE HON'BLE CHIEF MINISTER

​28.5.2014​ TO THE HON'BLE CHIEF MINISTER, GOVERNMENT OF KARNATAKA VIDHAN SOUDHA BANGALORE > > RESPECTED SIR , Sub: E-filing of all purchases and sales > Ref: Notification dated April 29, 2014 > We refer to the Commercial Taxes Notification dated April 29, 2014 issued by kind office.. In this regard, we wish to submit as under: > > 1. We refer to the Subject Notification which requires e-uploading of all purchases (local and Interstate), all sales (local, interstate and exports) and all debit notes and credit notes for all dealers whose total turnover is Fifty Lakh Rupees and above. > 2. Sir, we believe that such compliance procedures added to the already existing mandatory e-sugam compliance has put the selling dealers under the role of a compliance manager rather than a business men. Your kind office is already aware of the fact that in our Association, majority of the dealers don’t have personal computer in the Shop. The accounts are being prepared in Khata books which are prepared manually. The online return is only being filed with the help of local consultants who assists them in filing the returns by computing the gross sales and purchases figures with the help of a manual ​account​ books. > 3. Sir, the Notification has casted a huge unprecedented burden on the Selling Dealers to record all purchases and sales in the prescribe format and upload it on the website of the Commercial Taxes Department. In our humble view, we feel that this is leading to the stage wherein the small time dealers (Proprietors and Partners of firms) would now need to set his business aside and take up the role of an accounts officer in charge of uploading all his purchases, sales, debit notes, credit notes and so on rathe ​r​ than focusing on vital business decisions. > 4.Sir, the compliance procedures warranted under the Notification appear to be unreasonable and unjust when compared to the nature of businesses and the manner in which they are being operated. While at the same time, every movement of goods in and out of Karnataka mandates generation of e-sugam how does the subject Notification now wishes to move one step ahead and casts an additional burden on every dealer to also e-upload every purchase and sale of goods at the same time. Sir, this new mandate clubbed along with e-sugam seems to be arbitrary and unreasonable. > 5. Sir, it is also our submission that the Statute along with the Notifications issued thereunder should be such that it does justice to the parties – both to buyer and the seller. It does appear that this mandate of e- uploading all purchases and sales by both buyer and seller and also at the same time generating e-sugam for every movement of goods would result in an absurdity. It is our submission that this would be very tedious and probably beyond possibilities of most of the non-qualified and incompetent and non-computer efficient dealers. > 6. Sir, we believe that the implications brought about by the subject Notification do not at the same time have any nexus with the present infrastructure that the dealers are equipped with. The subject Notification has the ability to even impact the livelihood of dealers if these dealers are to reach anywhere near to complying with the complete set of conditions and compliance procedures brought about by the subject Notification. > 7. Sir, in our humble view, we request you to please re-consider this unprecedented additional liability that is being cast on all dealers. There are dealers both in retail segments and wholesale who sell goods valued at a very low price and are manually preparing the tax invoices on a day to day basis. Even their Sales is presently exceeding Rs. 50 Lakhs when calculated for a year as a whole which is enough to satisfy the condition of the subject Notification. We request you to please take the above on record and help us to resolve the burden that our members are faced with..Khaga has always supported the commercial tax department in all the initiatives and we feel that to-gether we can ... ​ > > SIR..WE ASSURE YOU OUR BEST SERVICES AND KIND CO-OPERATION ALL THE TIMES..​ > > Thanks and regards, > > SAJJAN RAJ MEHTA > CHAIRMAN,TAXATION KARNARAKA HOSIERY & GARMENT ASSN > 09845501150 ​

Wednesday, May 28, 2014

🌋 CONGRATS MODIJI & TEAM 

🌋 CONGRATS MODIJI & TEAM  Being first to cross the finishing line makes you Winner in only one phase of life. It's what you do after you cross the Finishing line counts the most.... NATION EXPECTS A LOT FROM YOU NOW & THE BALL IS IN YOUR COURT SIR..... PRIORITIES IN MY OPINION BAN THE COW- SLAUGHTER IN INDIA UNIFORMITY IN ALL OVER INDIA OF COMMERCIAL TAXES & OTHER TAXES DIRECT INTERACTION WITH TRADE ASSOCIATIONS LINKING OF RIVERS INFLATION & CORRUPTION TO DEALT WITH Keep smiling !! Be happy !!😀 Make happy !! MY KINDEST REGARDS...GOD ... KEEP BLESSING THE SON OF THE SOIL NARENDRA BHAI MODI JI JAIN SAJJAN RAJ MEHTA TRADE ACTIVIST EX.PRESIDENT KARNATAKA HOSIERY & GARMENT ASSN & JAIN YUVA SANGATHAN..BANGALORE

Thursday, May 22, 2014

E-filing of all purchases and sales

20.5.2014​ TO THE HON'BLE COMMISSIONER, COMMERCIAL TAXES KARNATAKA RESPECTED SIR , Sub: E-filing of all purchases and sales Ref: Notification dated April 29, 2014 We refer to your Notification dated April 29, 2014 issued by your kind office.. In this regard, we wish to submit as under: 1. We refer to the Subject Notification which requires e-uploading of all purchases (local and Interstate), all sales (local, interstate and exports) and all debit notes and credit notes for all dealers whose total turnover is Fifty Lakh Rupees and above. 2. Sir, we believe that such compliance procedures added to the already existing mandatory e-sugam compliance has put the selling dealers under the role of a compliance manager rather than a business men. Your kind office is already aware of the fact that in our Association, majority of the dealers don’t have personal computer in the Shop. The accounts are being prepared in Khata books which are prepared manually. The online return is only being filed with the help of local consultants who assists them in filing the returns by computing the gross sales and purchases figures with the help of a manual ​account​ books. 3. Sir, the Notification has casted a huge unprecedented burden on the Selling Dealers to record all purchases and sales in the prescribe format and upload it on the website of the Commercial Taxes Department. In our humble view, we feel that this is leading to the stage wherein the small time dealers (Proprietors and Partners of firms) would now need to set his business aside and take up the role of an accounts officer in charge of uploading all his purchases, sales, debit notes, credit notes and so on rathe ​r​ than focusing on vital business decisions. 4.Sir, the compliance procedures warranted under the Notification appear to be unreasonable and unjust when compared to the nature of businesses and the manner in which they are being operated. While at the same time, every movement of goods in and out of Karnataka mandates generation of e-sugam how does the subject Notification now wishes to move one step ahead and casts an additional burden on every dealer to also e-upload every purchase and sale of goods at the same time. Sir, this new mandate clubbed along with e-sugam seems to be arbitrary and unreasonable. 5. Sir, it is also our submission that the Statute along with the Notifications issued thereunder should be such that it does justice to the parties – both to buyer and the seller. It does appear that this mandate of e- uploading all purchases and sales by both buyer and seller and also at the same time generating e-sugam for every movement of goods would result in an absurdity. It is our submission that this would be very tedious and probably beyond possibilities of most of the non-qualified and incompetent and non-computer efficient dealers. 6. Sir, we believe that the implications brought about by the subject Notification do not at the same time have any nexus with the present infrastructure that the dealers are equipped with. The subject Notification has the ability to even impact the livelihood of dealers if these dealers are to reach anywhere near to complying with the complete set of conditions and compliance procedures brought about by the subject Notification. 7. Sir, in our humble view, we request you to please re-consider this unprecedented additional liability that is being cast on all dealers. There are dealers both in retail segments and wholesale who sell goods valued at a very low price and are manually preparing the tax invoices on a day to day basis. Even their Sales is presently exceeding Rs. 50 Lakhs when calculated for a year as a whole which is enough to satisfy the condition of the subject Notification. We request you to please take the above on record and help us to resolve the burden that our members are faced with..Khaga has always supported the commercial tax department in all the initiatives and we feel that to-gether we can ... ​ SIR..WE ASSURE YOU OUR BEST SERVICES AND KIND CO-OPERATION ALL THE TIMES..​ Thanks and regards, SAJJAN RAJ MEHTA CHAIRMAN,TAXATION KHAGA 09845501150

Sunday, April 20, 2014

INTRODUCTION OF EMINENT SOCIAL WORKER AND ELDER BROTHER SRI PADAM RAJ SA MEHTA

ना देख मुड़कर, तुझे मंजिलों को पाना है अपनी हस्ती को आफताब बनाना है ना मचलना राहों में चांद को देख कर तुझे तो सूरज बनकर जग को चमकाना है जोधपुर राजस्थान में जन्मे पदम् राज जी मेहता स्वर्गीय श्री उगम राज सा के सुपुत्र है तथा जिंदगी में भरपूर उतार चढ़ावो का आपने सामना किया है तथा अपनी लगन और ढृढ़ इच्छा शक्ति के बलबूते पर निरंतर आप श्री नित नई कामयाबी हासिल कर रहे है। सफलता सरलमना .सुह्रदयी .समर्पित .सेवा भावी .सजग .सजीले .सदगुणी .सक्षम .संकल्पित और सकारात्मक सोच के धनी हमारे अपने हंसमुख, मिलनसार,सक्रिय कार्यकर्ता और हर दिल अजीज श्री पदम राज सा मेहता आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। उनका जन्म दिन आ रहा है , प्रेषित है कुछ पंक्तिया जो उनकी सम्यक सोच और मानसिकता के अनुरूप है ​ पिछले ४० वर्षों से आपने बंगलौर को कर्म भूमि बनाया हुआ है तथा अपने सभी भाई बंधू और स्वयं के पुत्रो के साथ मेहता परिवार का नाम रोशन कर रहे है। आप स्वयं तो सामजिक रत्न है ही पर आपके भाई स्वर्गीय श्री कनक राज मेहता , पवन राज मेहता ,सज्जन राज मेहता और दोनों सुपुत्र अमित मेहता तथा आशीष मेहता भी कई संगठनो को अमूल्य सेवाए प्रदत्त करा रहे है। अमित मेहता जीतो के FCP ,जैन लैब के TRUSTY है तथा जैन लैब और राजस्थान संघ से भी जुड़े है। आशीष जैन य़ुवक मंडल और जीतो से जुड़े हुए है। ​आप की पत्नी श्रीमती चन्द्रप्रभा ​मेहता कुशल गृहिणी और सुश्रविका है तथा आपने मासखमण कि भी तपस्या की है। आप जैन महिला मंडल ,हनुमंत नगर की उपाध्यक्षा है। आपने सदेव समाज तथा सामाजिक मसलो को अहमियत दी है तथा आपका कहना है कि ​समाज है तो समाज में संगठन ही सर्वोत्तम है ..संगठन ही समाजोत्थान का आधार है ..संगठन बिना समाज का उत्थान संभव नहीं . उम्र के इस अहम् पड़ाव पर भी आप सक्रियता से जन हित और व्यापारिक हित में सर्वस्व न्यौच्चावर किये हुए है तथा अपनी जिन्दा-दिल्ली,जीवन्तता,कार्य कुशलता और जीवटता बखूबी कायम रखे हुए है। आप श्री का मानना है कि सबसे बड़ी जरुरत है घर की एकता, परिवार की एकता की । क्योंकि जब तक घर की एकता नहीं होगी- तब तक समाज, राष्ट्र, विश्व की एकता संभव नहीं । संगठन ही समाज को विकासशील एवं प्रगतिशील बना सक ​ता ​ है । समाज ​में संगठन से एकता का जन्म होता है एवं एकता से ही शांति एवं आनंद की वृष्टि होती है । इसलिए हम सब के लिए यही संकेत है ​कि एकता के सूत्र को चरितार्थ कर समाज को गौरवान्वित करें । ​​ ​आप व्यवहार धर्म के साथ जैन धर्म की भी ​अनुमोदना करते रहते है। समय समय पर तप -तपस्या -सामयिक-स्वाध्याय में आप बढ़-चढ़ कर हिस्सेदारी दर्ज कराते है। हमारे कोई जैन बंधू रुपये पैसे के अभाव में हीनता का शिकार ना हो , आप एक स्वधर्मी कोष का गठन कर उसका संचालन कर रहे है तथा "अपनों की सेवा -अपनों के द्वारा " का कुशलता से सम्पादन कर रहे है। संघ - समाज में जैनत्व का गौरव जगे ,मर्यादाओ का रक्षण हो और आडम्बर हीन साधना में जैन समाज गतिशील हो ,ऐसे नए आयाम प्रस्तुत करते है। आप सकारात्मक चिंतन लेकर चलने वाले पुरुषार्थी है तथा जीवन में सरलता ,सहजता,कथनी-करनी की एकरूपता और सबके साथ समन्वय आप श्री की विशिष्ट खूबी है। आप श्री का चुम्बकीय आकर्षण सब के मन को भाता है। मोक्ष वाहिनी योजना के आप संयोजक है तथा किसी के स्वर्गवास होने पर उनकी अंतिम यात्रा सुखद हो उसका बेहतरीन सञ्चालन कर रहे है। आप बहुमुखी प्रतिभा के धनी है। ​ आप एक कुशल व्यवसायी,बिल्डर, विश्लेषक ,सामाजिक कार्यकर्ता और प्रशिक्षक है तथा आदर्श कॉलेज में हजारो छात्रो के साथ तालमेल और समन्वय के माध्यम से शैक्षणिक क्षेत्र में भी विशेष सहकार प्रदान कर रहे है। आप श्री की लोकप्रियता समाज में इतनी है कि एक बार बीड़ा उठा लिया तो उसे अंजाम तक पहुंचाए बिना आप चैन की सांस नहीं लेते। परिवार के सबसे लोकप्रिय और मिलनसार व्यक्तित्व के धनी है। सटीक नेतृत्व , समय की पाबंदी , सार्थक जानकार , सारगर्भित वक्तव्य आप श्री की विशेषता है। आप कई संघ संस्थनों से जुड़े है पर कुछ का विवरण इस तरह से है। ​आप कई देश विदेश का भ्रमण कर चुके है। ​ ​​ Thanks a lot.. Regards.. ​SAJJAN RAJ MEHTA​ Padam Raj Mehta.. TREASURER..ADARSH COLEGE..BANGALORE EX. President.Karnataka Hosiery & Garment Assn. WORKING PRESEIDENT.. Shri Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh..Karnataka VICE PRESIDENT & EX SECRETARY...Shri Vardhman Sthanakvasi Jain Shravak Sangh..Hanumantnagar EX.PRESIDENT & EX.SECRETARY..Jodhpur Association.Bangalore CHAIRMAN..MOKSH VAHINI ..RAJASTHAN SANGH MENTOR...BHAGWAAN MAHAVEER JAIN LAB..HANUMANT NAGAR PATRON..JAIN INTERNATIONAL TRADE ORGANISATION ( JITO ) MEMBER..BBUL JAIN VIDYALAYA MEMBER...BHAGWAN MAHAVEER JAIN HOSPITAL MEMBER..JAIN CONFERENCE,,,

जैन युवा संगठन द्वारा " जैन एकता क्यों है जरुरी का ​विमोचन ​

प्रेस-समाचार > > जैन युवा संगठन द्वारा " जैन एकता क्यों है जरुरी का ​विमोचन ​ विमोचन भगवान् महावीर जन्म कल्याणक के भव्य महोत्सव में सुसम्पन्न। > > > संगठन पिचले काफी वर्षो से जैन एकता हेतु प्रयासरत है तथा समस्त जैन समाज का पिचले २५ वर्षो से भरपूर स्नेह,सहकार तथा सानिध्य प्राप्त है। ​जाने अनजाने में ही सही एक संवत्सरी के आयोजन और जैन समन्वय एवं एकता आपस में बढे , के स्वर मुखरित हो रहे है। . > > इसी कड़ी में जैन युवा संगठन के तहत जैन समन्वय समिति का गठन किया गया है जिसका संयोजन का प्रभार पूर्व अध्यक्ष जैन सज्जन राज मेहता को सौंपा गया था और उन्होंने संगठन के सदस्यों और पदाधिकारियो के साथ बैंगलोर में विराजित चारित्र आत्माओं से निवेदन किया था कि " जैन एकता - क्यों है जरुरी "उस पर अपने विस्तृत विचारों से अवगत करावे जिससे जैन एकता के क्षेत्र में और ज्यादा प्रगति हो। पुरे देश भर से ग़ुरु भगवन्तो तथा प्रबुद्ध जनो की सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है तथा प्राप्त सुझावों को समाहित कर करीब 5000 पुस्तिका का प्रकाशन ​किया ​ गया है और विमोचन 13 .4.13 को भव्य महोत्सव में किया ​गया। ​ समस्त संस्थाओं को यह प्रेषित की ​जा रही है। ​ समस्त जैन समाज का कल्याण हो तथा एक स्वर में जैनत्व के उत्थान हेतु सब प्रयास रत रहे ,येही मंगल मनीषा है। . प्राप्त सुझावों को समाहित कर समस्त जैन समाज के चिंतन और मनन से आगे की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाएगा। इस पुस्तिका में विज्ञापन दाता के रूप में हमारे अपने कर्मठ कार्यकरता श्री विमल कटारिया , श्री दिनेश खिंवसरा तथा युवा कार्यकर्ता तेरापंथ समाज के श्री राजेश चावत और गारमेंट व्यवसायी श्री गनपत जैन का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ है । ​ विमोचन के दौरान संगठन के सभी पदाधिकारी तथा प्रकाशन के सहयोगी भी मौजूद थे और उपस्थित आचार्य प्रवर श्री यशोदेव सुरिश्वर जी ,आचार्य प्रवर श्री चन्द्र यश सुरिस्वर जी , महासती दर्शन प्रभा जी , महासती रिद्धी श्री , महासती सुमन प्रभा जी , आदि ठाणा तथा समस्त साध्वी वृंद और समणी वृंद के सानिध्य में हुआ। ​ सह संयोजक श्री पवन mandot एवं जैन गौतम मेहता तथा समस्त पदाधिकारियो का भी विशेष सहकार रहा है । ​आपसे सविनय प्रार्थना है कि इस समाचार को भी प्राथमिकता प्रदान करे। ​पुस्तिका की प्रतिया भी सम्प्रेषित की जा रही है अतः; आप इसे पढ़ कर समीक्षा भी छपवाने का सुप्रयास कर हमें कृतार्थ करे। जैन एकता जिंदाबाद जय महावीर। जय जिनेन्द्र सा > > सधन्यवाद > > जैन सज्जन राज मेहता संयोजक जैन समन्वय समिति ​पूर्व अध्यक्ष जैन युवा संगठन ​

एकता एक मशाल है जो सही राह दिखाती है ।

एकता एक मशाल है जो सही राह दिखाती है । बिखराव एक चिंगारी है जो खुद को जलाती है। एकता एक मशाल है जो सही राह दिखाती है। एकता चूल्हे में जलती हुई आग है जीवन की बीणा पर बजता हुआ राग है। बिखराव बेचैनी है, कमजोरी है,दुर्भाग्य है। एकता शांति है, सुकून है सौभाग्य है। बिखराव का रास्ता इतिहास में ले जाता है। एकता का रास्ता भविष्य बनाता है। एकता हमारा नारा हो। सुंदर भविष्य हमारा हो। बदलाव के लिए सिर्फ एक क्षण ही काफी है- यह सूक्त जिस दिन जेहन में आया तो मन में वैचारिक द्वन्द शुरू हो गया। क्या एक ही क्षण में अपेक्षित बदलाब की बयार लायी जा सकती है ? बदलना इतना आसान नहीं होता जितना हम समझते है ,सोचते है , चिंतन करते है। इसके लिए बिना पानी तड़पती मछली जैसी छटपटाहट चाहिए। अंतहीन आसमान में उड़ान भरते पक्षी जैसा आत्मविश्वास और अर्जुन जैसी लक्ष्य वेधक दृष्टि चाहिए। अथाह सागर में नन्ही सी नौका द्वारा उस पार पहुँच जाने जैसा संकल्प,साहस आर निष्ठां चाहिए। संकल्प पुरे होते है , स्वप्न नहीं। अपनी वृतियों को देखने और सुधारने की प्रवृति चाहिए। एकता का अर्थ यह नहीं होता कि किसी विषय पर मतभेद ही न हो। मतभेद होने के बावजूद भी जो सुखद और सबके हित में है उसे एक रूप में सभी स्वीकार कर ले। ​जैन​ एकता से अभिप्राय है सभी ​स्वधर्मी बंधू ​जैनत्व से ओत-प्रोत हों ​, हम ​ सभी पहले ​जैन ​ हों,फिर ​तेरापंथी , स्थानकवासी,मंदिर मार्गी या दिगंबर ​ । ​ ​ एकता ही समाज का दीपक है- एकता ही शांति का खजाना है। संगठन ही सर्वोत्कृषष्ट शक्ति है। संगठन ही समाजोत्थान का आधार है। संगठन बिन समाज का उत्थान संभव नहीं। एकता के बिना समाज आदर्श स्थापित नहीं कर सकता।, क्योंकि एकता ही समाज एवं देश के लिए अमोघ शक्ति है, वहीँ विघटन समाज के लिए विनाशक शक्ति है ​ . ​ एकता का मतलब ही होता है,समाज ​के सब घटकों में भिन्न-भिन्न विचारों और विभिन्न आस्थाओं के होते हुए भी आपसी प्रेम, एकता और भाईचारे का बना रहना। ​ ​ सामाजिक ​एकता में केवल शारीरिक समीपता ही महत्वपूर्ण नहीं होती बल्कि उसमें मानसिक,बौद्धिक, वैचारिक और भावात्मक निकटता की समानता आवश्यक है।विघटन समाज को तोड़ता है और संगठन व्यक्ति को जोड़ता है। संगठन समाज एवं देश को उन्नति के शिखर पर पहुंचा देता है। आपसी फूट एवं समाज का विनाश कर देती है। धागा यदि संगठित होकर एक जाए तो ​वह ​ ​ हठी जैसे शक्तिशाली जानवर को भी बांध सकता है। किन्तु वही धागे यदि अलग-अलग रहें तो वे एक तृण को भी बाँधने में असमर्थ होते हैं। विघटित ५०० से – संगठित ५ श्रेष्ठ हैं। जैन समाज भिन्न-भिन्न आम्नाओ का पालक ​ है फिर भी समूचे विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखता है। अलग-अलग संस्कृति और भाषाएं होते हुए भी हम सभी कई मूल विषयो पर एक सूत्र में बंधे हुए हैं तथा जैन समाज ​ की एकता व अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए सदैव तत्पर रहते है.​बिखरा हुआ व्यक्ति टूटता है- बिखरा समाज टूटता है- बिखराव में उन्नति नहीं अवनति होती है- बिखराव किसी भी क्षेत्र में अच्छा नहीं। ​बांटने के लिए यहाँ भगवान् बाँट लिए है बांटने के लिए यहाँ धर्म-स्थान बाँट लिए है बांटने के फेर में निमित्त बन रहे है हम अगर बांटने के लिए यहाँ देह से प्राण बाँट लिए है ​ भारत विभिन्न संस्कृतियों,धर्मों और सम्प्रदायों का संगम स्थल है। यहां सभी धर्मों और सम्प्रदायों को बराबर का दर्जा मिला है। हिंदु धर्म के अलावा जैन,बौद्ध और सिक्ख धर्म का उद्भव यहीं हुआ है। अनेकता के बावजूद उनमें एकता है। यही कारण है कि सदियों से उनमें एकता के भाव परिलक्षित होते रहे हैं। शुरू से हमारा दृष्टिकोण उदारवादी है। हम सत्य और अहिंसा का आदर करते हैं। समाज एकता की चर्चा करने के पूर्व आवश्यकता है- घर की एकता, परिवार की एकता की। क्योंकि जब तक घर की एकता नहीं होगी- तब तक समाज, राष्ट्र, विश्व की एकता संभव नहीं। एकता ही समाज को विकासशील बना सकती है। समाज के संगठन से एकता का जन्म होता है एवं एकता से ही शांति एवं आनंद की वृष्टि होती है। एक बार हाथ की उंगलियों में बहस चल पड़ी। अंगूठा कहने लगा कि मैं सब उंगलियो से बड़ा हूं। उसके बराबर वाली उंगली कहने लगी, “नहीं, तुम नहीं, सब से बड़ी मैं हूं।” बाकी तीनों उंगलियों ने भी इसी प्रकार स्वयं को श्रेष्ठ कहा। निर्णय न हो सका तो सब अदालत में पहंचे। न्यायाधीश ने अंगूठे से प्रश्न किया, “भई मियां अंगूठे, तुम कैसे बड़े हो गए?” अंगूठे ने कहा, “मैं सब में से अधिक पढ़ा-लिखा हूं। अनपढ़ लोग हस्ताक्षर के स्थान पर मेरा ही उपयोग करते हैं।” अंगूठे के बराबर वाली उंगली ने कहा, “मैं इसलिए बड़ी हूं कि मुसलमान भाई मुझे शहादत की उंगली कहते हैं। मैं बताती हूं कि ईश्वर एक है। सब की पहचान के लिए भी मेरा उपयोग किया जाता है।” उसके बाद वाली उंगली ने कहा, “मैं इसलिए बड़ी हूं कि आप लोगों ने मुझे नापा नहीं। नाप कर तो देखो, लम्बाई अर्थात कद मे सब से बड़ी मैं ही हूं।” चौथी उंगली ने कहा, “मैं इसलिए बड़ी हूं कि मेरी गरदन में लोग सोने, चांदी, हीरे-जवाहरातों की कीमती अंगूठियां डालते हैं।” सब से छोटी उंगली ने कहा, “मैं इसलिए बड़ी हूं कि शर्त लगाने के लिये मेरा उपयोग किया जाता है।” न्यायाधीश सोच में पड़ गये। फिर आदेश दिया कि प्लेट में एक रसगुल्ला लाया जाए। रसगुल्ला आ गया, तो उन्होंने अंगूठे से कहा, “रसगुल्ला उठाओ।” अंगूठे ने भरसक प्रयत्न किया, किन्तु वह रसगुल्ला उठा न सका। फिर अंगूठे के बराबर वाली उंगली से कहा गया। वह भी रसगुल्ला न उठा सकी। इस प्रकार बारी-बारी सारी उंगलियों से कहा गया, किन्तु कोई भी अकेले रसगुल्ला न उठा सकी। तब न्यायाधीश ने पांचों उंगलियों से कहा, “अब तुम सब मिलकर उठाओ।” पांचों उंगलियों ने एक साथ मिल कर रसगुल्ला उठा लिया। न्यायाधीश बोले, “आप लोगों ने अलग-अलग प्रयत्न किया, तो रसगुल्ला उठा नहीं सकीं। सब ने मिल कर उठाने की चेष्टा की, तो रसगुल्ला आसानी से उठा लिया। इसलिए आप में से कोई एक बड़ा नहीं है। आप सभी बड़ी हैं। यह भी समझ लें कि एकता से मिलजुल कर रहें तो कोई काम कठिन नहीं। एकता में ही शक्ति है।” ​सकारात्मक दृष्टिकोण ही सफलता का मूल मंत्र है। जीवन के लम्बे सफ़र में अनेक अनुकूल व् प्रतिकूल परिस्थितिओं से गुजरते हुए जिनका नजरिए सकारात्मक होया है वह अँधेरी रात में भी उल्लास के और विश्वास के साथ सवेरे की प्रतीक्षा करता है। हमारा सटीक और सार्थक चिंतन सफलता और असफलता के मापदंड निर्धारित करने में सहायक है। मनुष्य वही बनता है जो सोचता है। जैसे संकल्प होते है वैसी सृष्टि बन जाती है। हम दृष्टि को बदले , सृष्टि बदल जायेगी। ​ ​नजर बदली तो नजारा बदल गया किश्ती ने रुख बदला तो किनारा बदल गया ​ अब तक के प्रयासो का सुखद प्रतिफल सत्कार्यो की जितनी प्रशंसा हो , कम है । गर्व से कहु तो सीना चौड़ा हो जाता है जब में यह बात साझा करू कि समस्त गुरु भगवंतों के सानिध्य में समस्त जैन समाज का वरद हस्त प्राप्त कर जैन युवा संगठन , बैंगलोर .सुह्रदयी .समर्पित .सदगुणी .सक्षम .संकल्पित और सकारात्मक सोच के धनी जैन गौतम मेहता एवं समर्पित युवा शक्ति के साथ के साथ कंधे से कंधा मिलाते हुए सामूहिक भगवान् महावीर जन्म कल्याणक की इस बार रजत जयंती मना रहे है अर्थात 25 वां आयोजन । विश्व भर में इस तरह का अनूठा कारनामा जैन एकता को बढ़ावा देने की कड़ी में अनुमोदनीय और प्रशंसनीय है। आचार्य प्रवर शिव मुनि सा ने इस वर्ष को जैन एकता वर्ष के रूप में मनाने की उद्घोषणा कर ही दी है। मुंबई में भी इस बार जैन समाज ने बीड़ा उठाया है तथा जैन एकता का बिगुल बजा दिया है। इस बार सामूहिक भगवान् महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव का भव्य आयोजन आयोजित होने जा रहा है। अरिहंत भगवान् की दिव्य आशीष से और (चलते फिरते तीर्थ कह दू तो कोई आतिशयोक्ति नहीं होगी ) हमारे पूज्य जैन साधू साध्वी की मंगल मय उपस्थिति तथा शुभाशीर्वाद से जिन शासन की शान में निरंतर उत्तरोतर प्रगत्ति हो , यही शुभेच्छा है । एकता के अभिनव आयामों को हम सब मिलकर सुखद अंजाम तक पहुंचाए । हम सब जैन है की गूंज हर जैनी के अंतर्मन को झकझोरे तथा संगठित प्रयासों से जैनत्व का चहुंमुखी प्रचार प्रसार हो । अहिंसा , संयम और तप को हम सब आत्मसात करे । एकता बिन जिंदगी दुश्वार है, हम एक हों एकता ही जिंदगी का सार है, हम एक हों। बिखराव हमें कहीं नहीं पहुंचा सकता एकता ही वक्त की पुकार है, हम एक हों । एकता के प्रयासो को नि;स्वार्थ सहयोग करने वालों को नमन सधन्यवाद जैन सज्जन राज मेहता समन्वयक .. जैन समन्वय समिति EX.PRESIDENT..JAIN YUVA SANGATHAN..BANGALORE [Image]

Saturday, April 19, 2014

अज्ञान के असीम अन्धकार में भटकते हुए सांसारिक प्राणियों को सम्यग्ज्ञान का आलोक प्रदान करने वाले प्रभु महावीर

अज्ञान के असीम अन्धकार में भटकते हुए सांसारिक प्राणियों को सम्यग्ज्ञान का आलोक प्रदान करने वाले प्रभु महावीर वर्तमान में जो धर्मशासन गतिमान है ,उसके अधिपति चरम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी है। माध्यम भगवान् महावीर की वह वाणी है जिसे उनके प्रधान शिष्य गणधरों ने शास्त्र का स्वरुप प्रदान किया और स्थविर भगवंतों ने बाद में लिपिबद्ध किया। इस शासन के संचालक - सूत्रधार शिष्य प्रशिष्य परम्परा से होने वाले संत है। शासनपति हम सभी आत्म कल्याण के अभिलाषियों के लिए सदा ​अनुकरणीय और ​ स्मरणीय है। ​सही को सही नहीं मानने रूप या सही को गलत और गलत को सही मानने रूप मिथ्यात्व ​ अज्ञान के असीम अन्धकार में भटकते हुए सांसारिक प्राणियों को सम्यग्ज्ञान का आलोक प्रदान करने वाले वहीँ है, इस कृतज्ञता के तथा गुणों के प्रति आदर भावना की दृष्टि से वे चिर-स्मरणीय भी है। गुणों की दृष्टि से सभी तीर्थंकर समान होते है तथा वन्दनीय तथा स्मरणीय है। तीर्थंकर महावीर ने अहिंसा का अमृत ना पिलाया होता और सत्य की सुधा- ​धा​ रा प्रवाहित ना की होती तो इस जगत की क्या स्थिति होती ? मानव, दानव बन गया होता , धारा ने रौरव का रूप धारण कर लिया होता। भगवान ने अपनी साधना पुट दिव्य - ध्वनि के द्वारा मनुष्य की मूर्छित चेतना को संज्ञा प्रदान की , दानवी व्रतियो का शमन करने के लिए दैवी भावना जाग्रत की और मनुष्य में फैले हुए नाना प्रकार के भ्रम के सघन कोहरे को छिन्न-भिन्न करके विमल आलोक की प्रकाशपूर्ण किरणे विस्तीर्ण की। प्रश्न उठ सकता है कि संसार का अपार उपकार करने वाले भगवान् के निर्वाण को कल्याणक क्यों कहा गया है ? इसका उत्तर यह है कि लोकोत्तर पुरुष दूसरे पामर प्राणियो जैसे नहीं होते। वे आते समय ​प्रे​ रणा लेकर आते है और जाते समय भी प्रेरणा देकर जाते है अतएव महापुरुषों का जन्म भी कल्याणकारी होता है और निर्वाण भी। भगवान् महावीर मृत्युंजय थे। उन्होंने आध्यात्मिक जगत की चरम सिद्धि प्राप्त की। अपने साधनाकाल में उन्होंने अन्धकार का भेदन किया। प्रत्येक स्थिति में समभाव धारण किये हुए रहे। ​स्वयं ने साढ़े बारह वर्षों की उग्र तपस्या,साधना के पश्चात ​जाग्रत होकर सुषुप्त जनों की आत्मा को जाग्रत किया और अंत में मुक्ति को प्राप्त हुए।भगवान के चरि ​त्र ​ को पढ़ने और सुनने वाले के अन्तः;क ​रण ​ में उत्कंठा जाग्रत होती है कि हम भी निर्वाण प्राप्त करे। वीतराग की सेवा किस प्रकार ​की​ जा सकती है ? वीतराग के निकट पहुँच कर उनकी इच्छा के विपरीत कार्य करना सेवा नहीं है। उनके गुणों के प्रति निष्कपट प्रीति होना , प्रमोद भाव होना और उनके द्वारा उपदिष्ट सम्यक ज्ञान,दर्शन और चारित्र के मार्ग पर चलना ही वीतराग की सच्ची सेवा है। महावीर की आत्मा को पहचानना और उससे प्रेरणा प्राप्त करना ही वास्तव में महावीर की पूजा है।सांप्रदायिक रंग में रंगने से महापुरुषो का रूप बदल जाता है। यदि उपासना का मूल आधार मान लिया जाय तो सारी विडम्बनाएं ही समाप्त हो जाए।"गुणा पूजास्थानम् " इस उक्ति को कार्यान्वित करने की प्रबलावश्यकता है। मनोवृति जब तक वीतराग मय नहीं हो जाती तब तक इस जीवन में भी निराकुलता और शान्ति प्राप्त नहीं हो सकती। जितने ​-२​ अंशों में वीतरागता का विकास होता जाता है, उतने ही अंशो में शान्ति सुलभ हो जाती है।वीतराग के प्रति प्रमोद का अनुभव करना ही वीतरागता के प्रति बढ़ने का पहला कदम है। चित में आराध्या,आराधक और आराधना का कोई विकल्प नहीं रह जाना - तीनों का एकरूप हो जाना अर्थात भेद प्रतीति का विलीन हो जाना ही सच्ची आराधना है। जब आत्मा अपने ही स्वरुप में रमण करती है और ब्राह जगत के साथ उसका कोई लगाव नहीं रह जाता है , वहीँ ध्याता,वहीँ ध्येय और वहीँ ध्यान के रूप में परिणत हो जाता है - निर्विकल्प समाधि की दशा प्राप्त कर लेता है तभी उसकी अनंत शक्तिया जागृत होती हैं। भगवान् महावीर "लोकप्रदीप " थे और वे स्वयं प्रकाशमय थे और समस्त जगत को प्रकाश प्रदत्त करने वाले थे। उस लोकोत्तर प्रदीप ने समस्त संसार को सन्मार्ग पर प्रशस्त किया और कुमार्ग पर जाने से रोका और अज्ञानरुपी अन्धकार का निवारण किया। किन्तु वह प्रदीप इस लोक में नहीं रहा , उनकी पावन और पुण्य स्मृति ​तथा बताया हुआ सन्मार्ग ​ ही हमारे लिए ​अनुमोदनीय और अनुकरणीय रह गया है। अगर हम उनके चरण चिन्हों को देख कर उनके मार्ग पर चलेंगे जिन्होनें सिद्धि प्राप्त ​की ​ हैं या आत्मोत्थान के पथ ​ ​ के पथिक है तो जो सिद्धि गौतम प्रभु को मिली वह हमें भी मिल सकती है। इस पावन सन्देश को समझ कर यदि ​हम​ आचरण करेंगे तो हमारा ​ ​ भ ​ विष्य भी आलोकमय बन जाएगा। ​भगवान् महावीर जन्म कल्याणक की मंगल मनीषाये। .समस्त जगत का कल्याण हो। जय जिनेन्द्र - जय महावीर - जय जैन एकता आभार। आपका ही अपना ​संकलन करता ​ जैन सज्जन राज मेहता संयोजक जैन समन्वय समिति। .BANGALORE पूर्व अध्यक्ष। जैन युवा संगठन 09845501150

Wednesday, February 5, 2014

What minority status will mean for Jains

What minority status will mean for Jains Jain Community will now avail of exclusive schemes run by the ministry of minority affairs Tenants dwelling in prime properties of Jain temples for years may have to vacate these;government interference in institutions and trusts of the community will cease to exist; and there will be 50 per cent reservation for Jain students in colleges run by the community: These are the immediate benefits resulting from the accordance of minority status to Jains. The community, which comprises only a fraction of India’s population, now stands at a par with five other minority communities — Muslims,Sikhs, Christians, Buddhists and Parsis. It will avail of exclusive schemes run by the ministry of minority affairs. Some of the schemes for minorities Multi-Sectoral Development Programme Scholarship scheme Post-matric scholarship scheme Merit-cum-means based scholarship Free coaching and allied scheme Maulana Azad National Fellowship “One should not confuse the issue of minority status with that of reservation in jobs and education institutes such as IITs (Indian Institutes of Technology) and IIMs (Indian Institutes of Management). The latter is only for people who fall under the categories of scheduled castes, scheduled tribes and Other Backward Classes. Jains are generally financially sound and most of them are out of these categories,” “The only benefit we will have is the government won’t be able to interfere in our daily function or running trusts and temples, which have enormous wealth in terms of cash and properties. The Archeological Survey of India wanted to bring down some of our temples; now, it can’t do much,” Other benefits the community’s institutions may avail of include exemption from rent control laws. It can seek legal recourse to evict tenants who have housed their properties for years and pay a meagre rent. Besides, Jains can teach culture and religion in their institutions and seek government funding for land. There are about five million Jains in India, , Jains have been demanding the Union government, too, do so. After many twists, turns and legal hurdles, the move was finally cleared by the Union cabinet.. Many may believe this is a pre-election dole and the Congress is likely to gain from it during the coming Lok Sabha elections. I submit that Jains had never exercised political influence, though they welcomed this decision with an open mind. Wajahat Habibullah, chairperson of the National Commission for Minorities, says his organisation has always supported the demand for grant of minority status to Jains. “Every community has a distinct problem. With Muslims, it is education; for Buddhists, it is the reorganisation of their places of worship in different part of the country; for Jains, it is their religious places and temples,” he adds. “Most Jains don’t need scholarships because they are financially sound. It will not create a major difference to other communities.” The literacy rate among Jains is about 90 per cent. The Muslim community has been the major beneficiary of scholarships from the ministry for minority affairs (which account for most of the ministry’s annual budget of about Rs 3,000crore), as their population is the highest among minority communities. JAIN SAJJAN RAJ MEHTA CHAIRMAN JAIN CO-ORDINATION COMMITTEE

A WRITE UP ABOUT THE ON-GOING DEBATE ON NATIONAL MINORITY FOR JAINS IN TIMES OF INDIA,BANGALORE ,TODAY DATED 6.2.14 ON PAGE 5

Minority status will help us serve nation better, say Jains TIMES NEWS NETWORK After decades of relentless persuasion, the Jain community in Karnataka believes the recently-granted minority community status will boost its philanthropic activities and help serve the nation better. While community members have settled down all over the country, Karnataka, where the religion has enjoyed patronage from major kingdoms including the Kadamba and Chalukya dynasties, is particularly close to their heart. While community members do different things for a living, hard work and philanthropy are dear to all. Chenraj Jain, chairman, Jain College says: “Every Jain household, regardless of class, indulges in charity.” Dr Narpat Solanki, a 2003 Rajyotsava awardee, for example, conducts free eye surgeries from a rented place in Bangalore. As part of his Project Drishti, he has conducted 1.7 lakh successful surgeries in 13 years. “I’m only doing 50% of what can be done,” he said, adding that the new status will help get support from the government and thereby reach more people. The work of Veerendra Heggade of Dharmasthala is truly inspiring. Belgaum, home to the largest Jain population in South India with nearly 50,000 Jain families, has people like Gopal Jinagouda, a successful industrialist and philanthropist. Not only does his firm employ hundreds of people, his foundation also helps poor families and their children. It has disbursed Rs 2.5 lakh every year to five to seven students from the district for seven years. In Hubli, there are many prominent people from about 700 families. Vimal Talikoti, secretary, Jain Samaj, said: “We give scholarships to poor students every year which cover their fees.” The work is similar to that of the Mahaveer Education Society. They also take care of animals, with thePinjarapole in Mysore being a sterling example.Thehomefor destitute animals has over 3,500 animals, mostly cattle. “We collect over Rs 3 crore annually from philanthropists for this,” society treasurer Shantilal Khabiya said. Bijapur also benefits from the largesse. The Nahar brothers provide meals for a rupee. “In 1972, when severe drought affected Bijapur, my father Nathi Lal distributed meals to people at 10 paise,” Hemanth Nahar said. To this day, there’s a long queue every day at Kabraji Bazar for these meals. Has the Centre’s decision come too late? Arguing that Jains constitute only between 0.5%-0.6% of the population, some were surprised at the delay. Sajjan Raj Mehta, a prominent industrialist in Bangalore, said: “One shouldn’t confuse minority status with reservation in jobs and educational institutes. We just want to protect our culture.” he said. “More than 90% of Jains are literate but education is different from literacy. This status will help us take more children to higher education besides providing better healthcare,” Kishore Jain said. Sajjan Raj Mehta

Sunday, February 2, 2014

SUBJECT ; PRE- BUDGET MEMORANDUM TO HON'BLE UNION FINANCE MINISTER

31.1.14 TO, THE HON'BLE UNION FINANCE MINISTER, LOK-SABHA, NEW DELHI.. RESPECTED SIR SUBJECT ; PRE- BUDGET MEMORANDUM SEASON'S GREETINGS Hope and trust that under your able guidance Indian economy will prosper further and further..what-ever reforms the Union Government is implementing will be fruitful for the trade & industry .. PHASING OUT CST We would like to divert your kind attention that yet CST has not been phased out and we from the trade and industry are regularly paying CST@2%yet..It is a long pending demand from us to phase out the CST in total.. long back it should have been @0%... The department concerned in all States of India fail to provide 'c' forms in right time to traders for the reasons best known to them . In Karnataka situation might be different as compared to others but yet we feel it puts additional work load on traders and compels them to bear the burnt of red-tapism,harassment & corruption.. Currently VAT& INCOME TAX AUDIT is required on the turnover of Rupees @10000000/- which could be increased to Rupees @20000000/- to help the medium segment of traders .. We traders will consider it a much deserving gift & the way the inflation has gone up it will help us a bit.. GST is due but no road map or guide lines yet so we will be highly obliged if we have the proper information in well advance... WISH THE UP-COMING UNION BUDGET A HAPPENING SUCCESS...WE TRUST THAT YOU WILL LEND YOUR PERSONAL ATTENTION TO OUR ABOVE MENTIONED SUGGESTIONS & LEAVE NO STONE UN-TURNED TO ISSUE NECESSARY ORDER FOR THEIR IMPLEMENTATION AT THE EARLIEST.. WITH KINDEST REGARDS.. THANKS A LOT.. YOURS FAITHFULLY SAJJAN RAJ MEHTA EX.PRESIDENT..KARNATAKA HOSIERY AND GARMENT ASSOCIATION CHAIRMAN..TAXATION COMMITTEE..K H A G A 09845501150

YET AGAIN AN ACCIDENT OF JAIN SAINTS

SAD NEWS YET AGAIN AN ACCIDENT OF JAIN SAINTS MAJOR ACCIDENT TODAY AT JODHPUR RAJASTHAN OF PARAM PUJYA JAIN SAINT SRI VINAY MUNI BHIM & HIS 2 DISCIPLES PUJYA SRI NIRANJAN MUNI IS NO MORE WITH US & MAY HIS DEPARTED SOUL REST IN PEACE... JAIN SAINTS ADMITTED IN MATHURA DAS MATHUR HOSPITAL AT JODHPUR REGULAR ACCIDENTS OF JAIN SAINTS & THEFTS IN JAIN TEMPLES .. IT JUST CAN'T BE MERE ACCIDENTS ? ENTIRE JAIN COMMUNITY CONDEMNS THESE INCIDENTS...WITH THE UNITED EFFORTS IN CO-ORDINATION WITH THE CENTRAL & UNION GOVT, WE MUST LOOK INTO IT & STOP THESE ACTS BEFORE IT IS TOO LATE... JAIN MUNIJI Admitted in MDM Hospital at Jodhpur ..Rajasthan RIP NIRANJAN MUNI SA SADAR JAI JINENDRA JAIN SAJJAN RAJ MEHTA CHAIRMAN..JAIN CO-ORDINATION COMMITTEE... BANGALORE

Monday, January 20, 2014

भारत में जैन समाज बना छठा अल्पसंखक समाज

भारत में जैन समाज बना छठा अल्पसंखक समाज * कैबिनेट में चर्चा कर पास* जैन समाज भी अल्पसंखक समाज घोषित जैन समन्वय समिति तथा जैन युवा संगठन भी इस हेतु सतत प्रयत्नशील रहे है तथा हम इनकी अनुमोदना करते है । सरकार या यह निर्णय नि;संदेह अनुमोदनिय है और हम भरपूर प्रशंसा करते है। JSF के साथ हम निरंतर संपर्क में रहे और आशा ही नहीं , पूर्ण विशवास है कि शीघ्र ही नोटिफिकेशन आने के बाद और जरुरी औपचारिकताएं भी पूर्ण हो जायेगी। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना भारत की संसद के द्वारा 1992 के 'राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम' के नियमन के साथ हुई थी। इस आयोग का गठन पाँच धार्मिक अल्पसंख्यकों मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध एवं पारसी समुदाय के हितों की रक्षा के लिए किया गया है। अब इसमें जैन समाज का भी समावेश होगा। आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और पाँच सदस्य होते हैं, जो अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मणिपुर, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल में भी राज्य अल्पसंख्यक आयोगों का गठन किया गया है। इन आयोगों के कार्यालय राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना भारत की संसद के द्वारा 1992 के 'राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम' के नियमन के साथ हुई थी। इस आयोग का गठन पाँच धार्मिक अल्पसंख्यकों मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध एवं पारसी समुदाय के हितों की रक्षा के लिए किया गया है।और अब इसमें जैन समाज का भी समावेश होगा।आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और पाँच सदस्य होते हैं, जो अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मणिपुर, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल में भी राज्य अल्पसंख्यक आयोगों का गठन किया गया है। इन आयोगों के कार्यालय राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं।[अल्पसंख्यक आयोग को संसद द्वारा 1992 के 'राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम' के तहत 'राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग' बनाया गया। कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 23 अक्टूबर, 1993 को अधिसूचना जारी कर अल्पसंख्यक समुदायों के तौर पर पाँच धार्मिक समुदाय यथा- मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध एवं पारसी समुदायों को अधिसूचित किया गया था। 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या में पाँच धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों का प्रतिशत 18.42 था' राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग' को निम्न कार्यों का दायित्व निभाना पड़ता है- *संघ तथा राज्यों के अर्थात अल्पसंख्यकों की उन्नति तथा विकास का मूल्यांकन करना। *संविधान में निर्दिष्ट तथा संसद और राज्यों की विधानसभाओं/परिषदों के द्वारा अधिनियमित क़ानूनों के अनुसार अल्पसंख्यकों के संरक्षण से संबधित कार्यों की निगरानी करना। *केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकारों के द्वारा अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए संरक्षण के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए अनुशंसा करना। *अल्पसंख्यकों को अधिकारों तथा संरक्षण से वंचित करने से संबधित विशेश शिकायतों को देखना तथा ऐसे मामलों को संबधित अधिकारियों के सामने प्रस्तुत करना। *अल्पसंख्यकों के विरुद्ध किसी भी प्रकार के भेदभाव से उत्पन्न समस्याओं के कारणों का अध्ययन और इनके समाधान के लिए उपायों की अनुशंसा करना। *अल्पसंख्यकों के सामाजिक आर्थिक तथा शैक्षणिक विकास से संबधित विषयों का अध्ययन, अनुसंधान तथा विश्लेषण की व्यवस्था करना। *अल्पसंख्यकों से संबधित ऐसे किसी भी उचित कदम का सुझाव देना, जिसे केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकारों के द्वारा उठाया जाना है। *अल्पसंख्यकों से संबधित किसी भी मामले विशेषत: उनके सामने होने वाली कठिनाइयों पर केन्द्रीय सरकार हेतु नियतकालिक या विशेष रिपोर्ट तैयार करना। *कोई भी अन्य विषय जिसे केन्द्रीय सरकार के सामने प्रस्तुत किया जा सकता है। Thanks a lot.. Regards..​ ​जैन सज्जन राज मेहता संयोजक जैन समन्वय समिति​

NATIONAL MINORITY STATUS FOR JAINS FINALLY

NATIONAL MINORITY STATUS FOR JAINS FINALLY RESPECTED SIR / MADAM WE WELCOME THE NEWS AND CONVEY OUR HEARTFELT THANKS TO THE HON'BLE PRIME MINISTER ,UPA CHAIRPERSON SMT.SONIA GANDHIJI, SRI RAHUL GANDHI JI AND UNION MINISTER SRI R AHMAN KHAN SAHIB PARTICULAR... WE ARE EXTREMELY THANKFUL TO UPA GOVERNMENT IN TOTAL AND ONE AND ALL WHO HAS WHOLE-HEARTEDLY SUPPORTED THE JAIN COMMUNITY TO GET A NATIONAL MINORITY STATUS...IT IS A GREAT ACHIEVEMENT AND DEFINITELY JAIN COMMUNITY AS EVERYONE THINKS AND DESIRES WILL USE IT IN NATION BUILDING AND FOR THE WELFARE OF ONE AND ALL ONLY We have been denied Minority status so many years though as per Indian census 2001 we are just 42 lakhs among 100 crore enumerated.. What we get through Minority status is right to establish and administer our temples, institutions, educational trusts, museums, preserve our culture, heritage and belief to the best of our own hands without Government interference. Just think for a moment and calculate money spent by Jain samaj all over India on temples, sthankas, bhavans, educational institutions, Goshalas, medical hospitals , dispensaries, pinjarapoles, ancient heritage, monuments, book banks, blood banks, artificial limbs centers, reserach centers for Jainlogy and administrative training foundation. As per consensus it is believed that in last 66 years since independence our community has spent more than 100 billion rupees in various assets and institutions and every year as per conservative estimate we spend almost thousands of crores in ch arity... Most of us have done all these selflessly, out of compassion and empathy. Times have changed since independence We don't have quality of leadership which respects our ethos, sacrifices. Most of political class fight for power to amass wealth at the cost of people, They can pass any order and take over all our assets by a stroke of pen. But once we have Constitutional status of Minority, we have protection and they will not dare to harm or hurt us. . We are a peace loving community.We cant fight like others do. We can only file court cases when our assets come under challenge but the way our system works, it will take 30-40 years to get justice and by that time all our assets will be squandered. What answer we will give to posterity and our departed souls of ancestors if we cant preserve them? Just think: Girnarji in Gujarat is our sacred Tirth for ages. Our 22 nd Tirthankar Lord Neminathji attained Nirvana but two of hills have already been taken over by vested interest as some agitation was engineered saying he was God of tribals. The objective is to loot forest wealth. What is heritage to us is just wealth for some one. Time has come to think afresh. We should claim our rightful constitutional status not for gaining employment or some benefits but to preserve our religion, heritage and culture for posterity. We are already reduced to small numbers but what is in freestore for future should cause ripples within us Please support us and highlight the success of the agitation as we all have a collective duty towards our culture and heritage to protect and administer what we created out of sweat Thanks a lot.. Regards.. Sajjan Raj Mehta.. CHAIRMAN..JAIN CO-ORDINATION COMMITTEE Ex President.Jain Yuva Sangathan,Bangalore