Tuesday, March 23, 2010

भगवान महावीर का संदेश प्राणी मात्र के कल्याण के लिए.२४.३.१०

bhagvan mahavir


भगवान महावीर का संदेश प्राणी मात्र के कल्याण के लिए है। उन्होंने मनुय-मनुष्य के बीच भेदभाव की सभी दीवारों को ध्वस्त किया। उन्होंने जन्मना वर्ण व्यवस्था का विरोध किया। इस विश्व में न कोई प्राणी बड़ा है और न कोई छोटा। उन्होंने गुण-कर्म के आधार पर मनुष्य के महत्व का प्रतिपादन किया। ऊँच-नीच, उन्नत-अवनत, छोटे-बड़े सभी अपने कर्मों से बनते हैं। जातिवाद अतात्विक है।

सभी समान हैं न कोई छोटा, न कोई बड़ा। भगवान की दृष्टि समभावी थी- सर्वत्र समता-भाव। वे सम्पूर्ण विश्व को समभाव से देखने वाले साधक थे, समता का आचरण करने वाले साधक थे। उनका प्रतिमान था-जो व्यक्ति अपने संस्कारों का निर्माण करता है, वही साधना का अधिकारी है। उनकी वाणी ने प्राणी मात्र के जीवन में मंगल प्रभात का उदय किया।
जब भगवान से यह जिज्ञासा व्यक्त की गई कि आत्मा आँखों से नहीं दिखाई देती तथा इस आधार पर आत्मा के अस्तित्व के सम्बन्ध में शंका व्यक्त की गई तो भगवान ने उत्तर दिया : 'भवन के सब दरवाजे एवं खिड़कियाँ बन्द करने के बाद भी जब भवन के अन्दर संगीत की मधुर ध्वनि होती है तब आप उसे भवन के बाहर निकलते हुए नहीं देख पाते। आँखों से दिखाई न पड़ने के बावजूद संगीत की मधुर ध्वनि बाहर खड़े श्रोताओं को आच्छादित करती है। संगीत की ध्वनि पौद्गलिक (भौतिक द्रव्य) है।
माननीय महोदय,

आज की प्रेस कांफ्रेंस में हमारा लक्ष्य भगवन महावीर के सिद्धांतो और २८ तारीख के भव्य आयोजन पर समूची जानकारी उपलब्ध कराना है..कृपया कर हमेशा की ही तरह हमारे साथ अपना अदभुत सहयोग बनाए रखे..


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Sajjan Raj Mehta
संयोजक..मीडिया प्रकोष्ठ ,पूर्व मंत्री..
जैन युवा संगठन

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