Sunday, February 7, 2010

आज के माहौल की राजनीति में युवको कीभूमिका




समय के साथ युवकों की सोच में परिवर्तन आया है तथा वे राहुल गाँधी,वरुण गाँधी,स्टालिन और नरेन्द्र मोदी को आदर्श मानकर " एक कदम राजनीति की और" उस दिशा में अपने आप को समर्पित कर रहे है..हर युवक का समाज,स्वयं,परिवार,नगर,राज्य एवं राष्ट्र के प्रति कुछ न कुछ कर्त्तव्य एवं दायित्व अवश्य है..राजनीति से युवक भला क्यू अछुता रहे तथा युवक सकारात्मक, पारदर्शी और धर्म निरपेक्ष राजनीति को अपनाने के लिए अग्रसर होने को बेताब है बशर्ते कोई उन्हें अंगुली पकड़ कर दाखिला दिला दे..राजनीति का प्रश्न जन-जन की तमाम समस्याओ में घुला मिला हुआ है.राजनीति जनता जनार्दन को सर्वोच्च प्राथमिकता व् देशहित में हरेक नागरिक को तमाम मुलभुत सुविधाएँ प्रदान करने वालीं होनी चाहिए.राजनेता लालबहादुर शास्त्री,अटल बिहारी वाजपेयी,सरदार वल्लभ भाई पटेल,,सुभाष चन्द्र बोस,नरेन्द्र मोदी या संजय गाँधी जैसा हो जो समय की पराकाष्ठा पर खरे निकले और निर्णयों के क्रियान्वन की अदभुत क्षमता रखते हो..जनहित की भावना प्रबल हो तथा उनके रोम -रोम में जनकल्याण की भावना समाहित हो. वह एक व्यापारी की सोच न रखे क्योकि "जहाँ का राजा व्यापारी वहां की प्रजा भिखारी ".उस राजनेता को ह्रदयहीन समझना चाहिए जो नागरिको की नब्ज ना पहचाने..कुशल राजनेता विचारशील, सह्रदय ,भावुक पर कठोर, उत्तरदायी, विवेकशाली और बुध्धिमान होना चाहिए तथा समस्त वर्गों को एक सूत्र में पिरोकर रखने की क्षमता निहित होनी चाहिए..सोच निराशावादी और पलायनवादी न हो तो देश की तरक्की हर क्षेत्र में बढोतरी पा सकती है बशर्ते बागडोर मजबूत हो और मनोबल भी..

आज की राजनीति की शुरुआत ही भ्रष्टाचार से हो रही है.प्रथम डगर पर प्रवेश के पहले ही करोडों के वारे-न्यारे हो जाते है और अंततः वह इसमें फिसलता ही जाता है..अन्तःतोगत्वा परिणिति दलदल की राजनीति का एक मोहरा बनाकर रख देती है.अधिकारों की भूख और कर्तव्यों की भूल उसके जीवन को क्षत-विक्षत कर देती है.सारा देश विशेषकर युवा असंतोष के ज्वालामुखी पर बैठा है..यह आजादी के पश्चात् की ताजा नई युवा पीढ़ी है..यह पीढ़ी देश में व्याप्त भ्रष्टाचार,,बेरोजगारी,महंगाई,
गरीबी,पक्षपात,धर्म के नाम पर खून-खराबा,जात के नाम पर राजनीति इत्यादि को लेकर अपना रोष व्यक्त कर रही है..युवा असंतोष के एक नहीं अनेक कारण है..उनके अग्रज उपधिपत्र को ताबीज बनाकर सड़को की खाक छान रहे है..अपने भविष्य को अनिश्चय के कुहरा से घिरा पाकर और निरंतर अपने ऊपर बेरोजगारी या बेकारी की नंगी तलवार लटकती देख कर उनका अंतःकरण विवश रहता है..सत्ता के ऊपर उन्ही का अधिकार है जिन्होंने जाती,रिश्ते-नाते,पैसे,गुंडागर्दी या धर्म के नाम पर सत्ता की नक़ल अपने हाथ में कर ली है..भ्रष्ट राजनीतिज्ञों ने नई प्रतिभाओ के लिए राजनीति का फाटक बंद ही कर लिया है..उनकी शतरंजी चाले युवा पीढ़ी को मोहरा मात्र बनाकर रखे हुए है..आवश्यकता है,इस युवा असंतोष को नेस्तनाबूद किये जाने की..ऐसी प्रणाली विकसित हो जिससे कोई बेरोजगार ना रहे..राजनीति में सभी को साथ लेकर चलने की प्रवृति भी असरकार हो सकती है..

भारत एक प्रजातंत्र राष्ट्र है..नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त है.सहयोग प्रयोग की नितांत आवश्यकता है .नागरिको को मुलभुत सुविधाओ की प्राप्ति हेतु निरंतर प्रयत्नशील रहते हुए समय-समय पर राजनीतिज्ञों को उनका कर्त्तव्य याद दिलाना है...नागरिकों का शारीरिक,मानसिक और बौधिक विकास ऐसा हो कि आत्मिक ज्ञान से उनकी शोभा बढे.वे संगठित होकर ऐसा वातावरण बनाये जिसमे राजनीतिज्ञ चाहकर भी उनकी भावनाओ केसाथ खिलवाड़ ना कर सके तथा अपने अपने क्षेत्रो में एक स्वस्थ और विकसित जीवन शैली का निर्माण कर सके .सच्चे युवाओ को स्वार्थ के कीटाणु कभी रुग्ण नहीं बनाते..विघ्नों के विन्ध्याचल भी उनके मार्ग में अवरुद्ध नहीं उत्पन्न कर सकते है और वे आपत्तियों के अर्नव को भी अगस्त्य कि तरह चुल्लुओ में गटक जाते है..समय का तकाजा है कि युवाओ को भी राजनीति करने का सुअवसर सुलभ हो और वे मंझे हुए राजनीतिज्ञों से बारीकी से वाकिफ होकर देश की दशा को सही दिशा में मोड़ प्रदान करे और यह परिवर्तन हकीकत में हो, यही शुभेच्छा है...यदि समस्त वर्ग यह आकांषा रखते है कि हमारे देश में स्वर्गीय सुषमा और शांति परिव्याप्त हो तो आवश्यक है कि युवा शक्ति का उपयोग ध्वन्स्लीला के लिए नहीं,वरन देश निर्माण के लिए करना पड़ेगा..
वन्दे मातरम..युवा शक्ति को नमन..

जयहिंद

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सज्जन राज मेहता
9845501150

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