Friday, September 2, 2011

आत्म -शुद्ध रो पर्व , संवत्सरी दिन आयो है, घणो सुहायो है !

आत्म -शुद्ध रो पर्व , संवत्सरी दिन आयो है, घणो सुहायो है !


क्षमा वही कर सकता है जिसका हृदय विशाल हो ,

जिसमे सहज सरलता हो और जीवन को अभिभूत करने वाली मृदुता हो,

जो क्षमा नहीं करना जानता वह न निज पर शासन कर सकता है न अन्य व्यक्ति पर,

शब्दोच्चारण के साथ मन में हुआ शत्रुता का भाव समाप्त हो जाना ही क्षमायाचना है

क्षमाशील वह होता है जो अतीत को विस्मृत करता है और वर्तमान की चित धारा बदलता है

और भविष्य में किसी प्रकार की छलना न करने का संकल्प करता है !!

-- क्षमा वीरस्य भूषणं..आप हमारी भूलों के लिए क्षमा करावे...तपस्या की सुख-साता पूछ कर ...

सादर जय जिनेन्द्र..मिच्छामी DUKKADAM
सज्जन राज मेहता,प्रमिला मेहता,मीनल मेहता,अंकुश मेहता एवं समस्त मेहता परिवार...
बंगलौर

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