मध्य-प्रदेश सरकार की तरह कर्नाटक में भी गौ-हत्या निषेध कानून पारित हो
गौ विश्व क़ी माता है.
कटती गाय करे पुकार,बंद करो यह अत्याचार..
देश पर शासन वह करेगा जो गौ हत्या बंद करेगा..
सब सज्जनों क़ी यही पुकार,गौ हत्या अब नहीं स्वीकार
कर्नाटका सरकार माननीय मुख्यमंत्री महोदय श्री सदानन्दजी गौड़ा के कुशल नेतृत्व में गतिशील है और बधाई की पात्र है कि उन्होंने गौ हत्या निषेध कानून पारित करने क़ी सकारात्मक पहल ली है हालाँकि कुछ अवरोध सामने है..जिस समाज ने हमें मानव कहलाने का अधिकार ही नहीं दिया-वरन स्रष्टि का सर्वोतम वरदान बनने के अनुकुल बनाया.उसके प्रति हमारा कितना उत्तरदायित्व है,इसे कदापि नहीं भूलना चाहिए..हिन्दुस्तान के महान महर्षियों ने संपूर्ण चराचर के बीच परमात्मा का निवास स्वीकार किया है..किसी को दुख दीये बिना ही सब के सुख क़ी कामना करना इस अभेद अनुभूति क़ी पहली सीढ़ी है..हिन्दू धर्म और जैन धर्म का मूल मंत्र सदैव से ही यही रहा है.."अहिंसा परमोह धर्म""साधारणतः हिंसा का अर्थ लोग समझते है क़ि "प्राण लेना और अहिंसा उसका विपरीत अर्थ प्राणना लेना समझा जाता है..kisi को kisi प्रकार का दुःख ना देनातथा सबके सुख का प्रयत्न करना ही अहिंसा है ..मनुष्य का परमकर्त्तव्य होना चाहिय कि समस्त जीवों को इश्वर की अनुपम कृतिसमझ कर सभी तरह से उसकी रक्षा करना ही उसके मानवीयजीवन का लक्ष्य रहे तथा उनकी सुख वृध्धि में ही सुख पानेकीसाधना करे..मन-वचन और कर्म से कभी kisi का अहित चिंतनना करना ही अहिंसक का सबसे बड़ा लक्षण है..सभी जगह निर्बलोकी पीठ पर प्रबल सवार है और गाय से निर्बल प्राणी भला दूसराकौनसा है ..मनुष्य के स्वाद की लालसा ने गाय जैसे निरीह प्राणीका क़त्ल करने पर विवश कर दिया..मानव की क्या बात करे किवह पशु-भक्षी तो बना ही बना पर अब नर-भक्षी भी हो गया है..ज्ञान-विज्ञानं की उन्नति का अनुचित लाभ उठाकर मनुष्य प्राणलेने की कला में पारंगत हो गया है..भूल सा गया है कि दूसरों को भीजीने का उतना ही अधिकार है जितना कि स्वयं को..मानव कीबर्बरता जितनी बढ़ेगी,हिंसा का मूल्य उतना ही बढ़ता जायेगा..इसआदर्श को अपनाकर ही हम समता, सहानुभूति और प्रेम कापरिचय दे पाएंगे..जैन धर्म में तो कीड़ों-मकोंड़ो की हिंसा तक वर्जितहै या यूँ कहूँ कि भाव हिंसा तक वर्जित है॥
इश्वर की इस महान विभूति "गौ माता"को विकृत करने का हमें कोईअधीकार नहीं है और वह भी उदर-पोषण मात्र के लिए..कतईनहीं..सभ्य समाज का कोई नागरिक यह घोर अत्याचार kisiकीमत पर बर्दाश्त नहीं कर पायेगा..कातरता से ताकते हुए पशुओकी हत्या या उन पर प्रहार मात्र भी न्रशुन्श्ता का परिचय है..इश्वरकी कृतियों को प्यार करना ही इश्वर की सबसे बड़ी आराधना हैयदि हम केवल जीव मात्र के प्रति दया.करुणा,स्नेह आदि काव्यवहार करे तो भगवन हम पर प्रस्सन होंगे..कल्पना करे कि आजजो "सेव बाघ" कि धूम पुरे देश में मची है,वह कल गौ माता के लिएनहीं चलानी पड़े..एक एक गाय की निर्मम हत्या आने वाले कल कोकाफी भरी पड़ेगी..तमाम सामाजिक और धार्मिक संगठनो का यहपुनीत कर्त्तव्य है कि इस मुहिम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले और आरहे तमाम अवरोधों का विध्वंस कर दे ..जब सरकार इतनीदरिया-दिली दिखा रहो तो जन-जन का सहयोग इस सत्कार्य कोभली-भांति अंजाम तक पहुंचा देगा वरना हाथ ही मलते रहजायेंगे..
कर्णाटक सरकार से कर-बढ़ प्रार्थना है कि जन-हित में बन्दरघुड़कियों को तवज्जो कतई ना दे तथा देशहित को ध्यान में रखतेहुए पशु-धन की रक्षार्थ कठोरता से निर्णय को असली जामापहनाये..देश के निर्माण सूत्र में तीन शब्द महत्वपूर्ण हैनिर्णयन,उन्मूलन और संवर्धन..मुक्यमंत्री जी को चाहिए कि सभीपक्षों को शांति-पूर्वक इस बारे में सहमति बनाने कि दशा में प्रेरितकरे और खुले दिल से बहस हो..सरकारे आती-जाती रहती है पर इसजीवन में सत्तासीन रहते हुए -हिन्दू संस्कृति कि रक्षा हेतु यदिहलाहल का उफनता प्याला भी पीना पड़े, आग के दरिया में भीकूदना पड़ जाए तो भी कभी नहीं हिचकिचाए..
आपके सानिध्य में यदि प्राण-दान के मूल्य पर भी कर्णाटक का मस्तक "गौ-हत्यानिषेध" के कारण विश्व के समक्ष ऊँचा कर पाएंगे तो आपका जीवनधन्य-धन्य हो जाएगा..गौ-माताओं को आपके द्वारा प्रदत यहअभय-दान हिंदुस्तान में स्वर्णाक्षरों में मढ़ा जाएगा..और फिरगौ-हत्या निषेध क़ी बात हिंदुस्तान में नहीं तो और कहाँ शोभनीयहोगी..महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंदजी ने ठीक ही फरमाया है; कि अहंकार शुन्य होकर एवं वैयक्तिक लाभ को ध्यान में नारखकर की गई समाज सेवा ही श्रेयस्कर है;
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सरकार ने विधान सभा और विधान परिषद् दोनों में यह बिल पारित कराकर समस्त हिन्दू,सिख.बौध और जैन धर्म को गौरवान्वित किया है पर अभी भी महामहिम राज्यपाल महोदय की अंतिम मुहर लगनी बाकी है,,आशा ही नहीं परम विशवास है कि महामहिम महोदय जनहित में कोई भी राजनितिक दबाव के आगे विपरीत फैसला नहीं सुनायेंगे और करोंडो गौ-प्रेमी बंधुओ कि दुआएं हासिल करेंगे..अहिंसा परमो धर्म ;..
छिद्रय्मय हो नाव,डग-मग चल रही मंज्धार में,
दुर्भाग्य से जो पड़ गई ,दुर्देव के अधिकार में,
तब शरण होगा कौन, जब नाविक दुबाड़े धार में,
संयोग सब अशरण ,शरण कोई नहीं संसार में..
धन्यवाद ...
पूर्व अध्यक्ष ..जैन युवा संगठन ..बन्गलोर
उपाध्यक्ष..भारतीय जैन संगठन..कर्नाटका
सामजिक कार्यकर्ता
9845501150
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