Wednesday, July 24, 2013

हम सब पशु नहीं , पशु से बदतर है

राजस्थान पत्रिका के जाकेट पर प्रतिक्रया हम सब पशु नहीं , पशु से बदतर है ​पशु के अंतर्मन के उदगार ​हम ऐसा क्या जतन करे कि मानव जाती को हम पर रहम आ जाए ऐसा क्या करे की इन राह भटको को हम पर करुना आ जाए मेरे परवर दिगार , मेरे खुदा , मेरे मालिक ,हमें अपने आगोश में ले ले पर कुछ ऐसी रहमत बरसा दे की मानव जाति को यह भान आ जाए ​पशु और मानव जाती के समन्वय में ही दोनों का बड़ा पार है ​ ​हम एक दुसरे के पूरक बने इसी में संसार का सार है , सार है ​ लेखक जैन सज्जन राज मेहता सामाजिक कार्यकर्ता बैंगलोर

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