Sunday, October 12, 2014

​समूचे हिंदुस्तान ​ में भी गौ-हत्या निषेध कानून पारित हो

प्रेस-समाचार ​​ ​समूचे हिंदुस्तान ​ में भी गौ-हत्या निषेध कानून पारित हो गौ विश्व क़ी माता है. कटती गाय करे पुकार,बंद करो यह अत्याचार.. देश पर शासन वह करेगा जो गौ हत्या बंद करेगा.. सब सज्जनों क़ी यही पुकार,गौ हत्या अब नहीं स्वीकार इश्वर की इस महान विभूति "गौ माता"को विकृत करने का हमें कोई ​ ​ अधीकार नहीं है और वह भी उदर-पोषण मात्र के लिए..कतई ​ ​ नहीं..सभ्य समाज का कोई नागरिक यह घोर अत्याचार kis ​​ i ​ ​ कीमत पर बर्दाश्त नहीं कर पायेगा..कातरता से ताकते हुए पशुओकी हत्या या उन पर प्रहार मात्र भी न्रशुन्श्ता का परिचय है..इश्वरकी कृतियों को प्यार करना ही इश्वर की सबसे बड़ी आराधना है ​ ​ यदि हम केवल जीव मात्र के प्रति दया.करुणा,स्नेह आदि का ​ ​ व्यवहार करे तो भगवन हम पर प्रस्सन होंगे..कल्पना करे कि आज ​ ​ जो "सेव बाघ" कि धूम पुरे देश में मची है,वह कल गौ माता के लिए ​ ​ नहीं चलानी पड़े..एक एक गाय की निर्मम हत्या आने वाले कल को ​ ​ काफी भरी पड़ेगी..तमाम सामाजिक और धार्मिक संगठनो का यह ​ ​ पुनीत कर्त्तव्य है कि इस मुहिम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले और आरहे तमाम अवरोधों का विध्वंस कर दे ..जब सरकार इतनी ​ ​ दरिया-दिली दिखा रहो तो जन-जन का सहयोग इस सत्कार्य को ​ ​ भली-भांति अंजाम तक पहुंचा देगा वरना हाथ ही मलते रहजायेंगे.. सरकार से कर-बढ़ प्रार्थना है कि जन-हित में बन्दर ​ ​ घुड़कियों को तवज्जो कतई ना दे तथा देशहित को ध्यान में रखतेहुए पशु-धन की रक्षार्थ कठोरता से निर्णय को असली जामापहनाये..देश के निर्माण सूत्र में तीन शब्द महत्वपूर्ण है ​ ​ निर्णयन,उन्मूलन और संवर्धन.. ​प्रधान मंत्रीजी ​ जी को चाहिए कि सभीपक्षों को शांति-पूर्वक इस बारे में सहमति बनाने कि दशा में प्रेरितकरे और खुले दिल से बहस हो..सरकारे आती-जाती रहती है पर इसजीवन में सत्तासीन रहते हुए -हिन्दू संस्कृति कि रक्षा हेतु यदि ​ ​ हलाहल का उफनता प्याला भी पीना पड़े, आग के दरिया में भी ​ ​ कूदना पड़ जाए तो भी कभी नहीं हिचकिचाए.. आपके सानिध्य में यदि प्राण-दान के मूल्य पर भी ​हिंदुस्तान ​ का मस्तक "गौ-हत्यानिषेध" के कारण विश्व के समक्ष ऊँचा कर पाएंगे तो आपका जीवनधन्य-धन्य हो जाएगा..गौ-माताओं को आपके द्वारा प्रदत यहअभय-दान हिंदुस्तान में स्वर्णाक्षरों में मढ़ा जाएगा..और फिरगौ-हत्या निषेध क़ी बात हिंदुस्तान में नहीं तो और कहाँ शोभनीयहोगी..महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंदजी ने ठीक ही फरमाया है; कि अहंकार शुन्य होकर एवं वैयक्तिक लाभ को ध्यान में नारखकर की गई समाज सेवा ही श्रेयस्कर है; - .. : आशा ही नहीं परम विशवास है कि महामहिम महोदय जनहित में कोई भी राजनितिक दबाव के आगे विपरीत फैसला नहीं सुनायेंगे और करोंडो गौ-प्रेमी बंधुओ कि दुआएं हासिल करेंगे..अहिंसा परमो धर्म ;.. छिद्रय्मय हो नाव,डग-मग चल रही मंज्धार में, दुर्भाग्य से जो पड़ गई ,दुर्देव के अधिकार में, तब शरण होगा कौन, जब नाविक दुबाड़े धार में, संयोग सब अशरण ,शरण कोई नहीं संसार में.. धन्यवाद ... पूर्व अध्यक्ष ..जैन युवा संगठन ..बन्गलोर सामजिक कार्यकर्ता 9845501150 ​C.C. TO THE PRIME MINISTER THE GOVERNOR,KARNATAKA THE CHIEF MINISTER,KARNATAKA THE UNION FINANCE MINISTER​

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