Tuesday, January 25, 2011

स्वस्थ पत्रकारिता का सजग पहरी

स्वस्थ पत्रकारिता का सजग पहरी

पत्रकारिता कर्तव्यों, आदर्शों और अपने जनसेवी उद्देश्यों के प्रति सच्ची निष्ठा का प्रतीक है। पत्रकारिता निस्पृह समाज सेवा है, एक तटस्थ विचारक की विचारणा और सूझबूझ का खुला गुलदस्ता है। सामाजिक चेतना की धूरी है, आस्था, तपस्या और सृजना की त्रिवेणी है, एक मिशन है, निष्काम और निस्वार्थ भाव से किये गये कार्यों का दस्तावेज है, लग्र कर्मठता तथा ईमानदारी इन तीन कर्म सूत्रों पर आधारित जीवन दर्शन है, नीर-क्षीर विवेक का प्रतिफल है, मगर वर्तमान पत्रकारिता क्षेत्र में स्वस्थ पत्रकारिता की कुछ अनदेखी हो रही है। स्वस्थ पत्रकारिता ही समाचार पत्र की लोकप्रियता और पत्रकारों की अहम् भूमिका, उसकी निस्पक्षता और पैनेपन का प्रतीक तथा जीवंतता है। कलम के सिपाही पत्रकार को बुद्धिजीवी कहा गया है। उसका अपना निर्णय दृष्टिकोण होता है और यही निर्णय, दृष्टिकोण की पत्रकारिता का अलंकार है। यदि यह निर्माणात्मक, जनहितकारी, जन जागरण और जन चेतना की मशाल साबित हुआ तो पत्रकारिता में स्वयं ही चार चांद लग जाते हैं। स्वार्थी और पीत पत्रकारिता से सफलता नहीं मिल सकती। वर्तमान में विश्व भर में विश्व कल्याण, विश्व शांति के प्रयास होने लगे हैं, ऐसी स्थिति में पत्रकारिता को अहम् भूमिका निभानी होगी, क्योंकि उसका दायरा सम्पूर्ण विश्व में सर्व सुलभ साध्य साधना समाचार पत्र है। इस वृहद दायरे का निर्वाह पत्रकार की परिधी में आ चुका है। विश्व स्तरीय पत्रकारिता किसी भी प्रकार की गहन निरीक्षण शक्ति, सूक्ष्म अवलोकन, तात्कालिक जागरूकता और राजनैतिक चेतना द्वारा ही संभव है। पत्रकारिता का ध्येय कोरी आलोचना नहीं है, वह ''ब्लैकमेल" तो हो ही नहीं सकता, क्योंकि उसके संकीर्णता, प्रलोभन न होना, सत्य को कड़वाहट तक न ले जाने, व्यर्थ के मसाले लगाकर ''सूर्खी" न बनाने की क्षमता हो। एक स्वच्छ मार्ग निर्मित किया जाये, स्वस्थ जनमत जागरूक करने का प्रयास ही जन प्रशंसा का पात्र बना सकती है और पत्रकारिता का उज्जवल पृष्ठ जन-मन को मोह सकेगा, इसलिए पत्रकारिता का स्वरूप सर्वजन सुखाये हो, सत्यता और वास्तिविकता के प्रतिमानो को वर्तमान के तराजू पर तोल कर प्रकाशित किया जाये, अर्नगल को अर्गल न बनाया जाये और न ही अर्गल को अतिक्रमण कर उसे रौंदा जाये। जरूरत पडऩे पर विचार-विमर्श उपरांत जनोपयोगिता के संदर्भ में निर्णय लिया जाये, अन्यथा जनमानस की मानसिकता बिगड़ते देर नहीं लगती और पत्रकारिता पर कुठाराघात भी हो सकता है।
पत्रिका बंगलौर के स्थापना दिवस के सुअवसर पर प्रसन्नता है कि पत्रिका निरंतर पत्रकार और पत्रकारिता के धर्म क़ी निर्विवाद रूप से रक्षा कर रही है तथा स्वस्थ पत्रकारिता के बलबूते पर सफलता के नए आयामों को छुने हेतु अग्रसर है..भविष्य में आप और ज्यादा तरक्की करे.इन्ही मंगल मनीषाओ के साथ सादर अभिवादन ..पुरे पत्रिका परिवार के उज्जवल भविष्य की कामना करता हुआ...

जयहिन्द..वन्दे मातरम...

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सज्जन राज मेहता
सामाजिक कार्यकर्ता
बन्गलोर

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