Wednesday, April 14, 2010

पत्रिका के निरंतर बढ़ते कदम

पत्रिका के निरंतर बढ़ते कदम
अगर हम भारत को राष्ट्र बनाना चाहते है, तो हिंदी ही हमारी राष्ट्र-भाषा हो सकती है.. राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी

हिंदी के द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है..महर्षि दयानंद

प्रांतीय इर्ष्या द्वेष को दूर करने में जितनी सहायता हिंदी से मिलेगी,उतनी दूसरी कोई चीज से नहीं मिल सकती..नेताजी सुभाष चन्द्र बोस

श्रीमान..यदि हम विघटन और बिखराव की प्रवृतियों को कुचलकर समग्र भारतवर्ष को एकता के बंधन में बांधना चाहते है,राष्ट्र का सांस्कृतिक ह्रदय आमने-सामने खोलना चाहते है तथा राष्ट्रानुराग कि लाली सर्वत्र छिटकाना चाहते है तो.राष्ट्रभाषा हिंदी कि रथयात्रा में किसी प्रकार क़ी बाधा देने वालों को देश-द्रोही समझे तथा हिंदी भाषा की निरंतर अलख जगाने ओर सेवा में तत्पर व्यक्ति या समूह को देश-प्रेमी समझे..राष्ट्र भाषा क़ी उन्नति राष्ट्र क़ी सर्वव्यापी उन्नति का मूल है-इसमें कोई संदेह नहीं..हम चेष्टा करे कि हिंदी अब अपने देश मात्र में ही नहीं--समूचे राष्ट्र संघ में स्थान पाकर विश्व में अपनी ज्योति प्रकाशित करे ..

पत्रिका का आज से ग्वालियर में भी प्रकाशन हो रहा है...उसकी सफलता हेतु तथा उज्जवल भविष्य क़ी मंगल कामना शुभ भावो के दीपक में सजाकर प्रेषित करते हुए अनंत आनंद क़ी अनुभूति कर रहा हूँ..
धन्यवाद धन्यवाद..परम श्रधेय श्री कुलिशजी को नमन..

आदर सहित..


--

सज्जन राज मेहता
बन्गलोर ..9845501150

No comments:

Post a Comment