Wednesday, June 1, 2011

बेचो ओर खाओ, भाई साहिब श्री गुलाब जी की लेखनी काफी सामायिक ओर सशक्त टिपण्णी है तथा सरकार जाने-अनजाने क्यों बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक के मुद्दे को जगाकर जनता जनार्दन को आंदोलित करने पर तुली है, समझ से परे है..यह सारी स्रष्टि उस विधाता की निर्मिती है,जिसने हमें विविध भूखंडो पर अनेक रंगों,भाषाओ ओर जातिओ में विचरने के लिए छोड़ रखा है..धर्म ओर जाती,भाषा ओर लिपि ,रंग ओर रूप के नाम पर उठाई गयी पाथर्क्य की दीवारें मनुष्य ने उठा रखी है ..जब किसी जाति धर्म के लोग दुसरे जाति धर्म के लोगों का खून अकारण बहाते है या बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक मामले पर राजनीति की रोटी सेंकने का कुकृत्य करते है तब यह ईश्वर की धरती अपने निर्माण की मुलभुत संकल्पना से बहुत दूर हट जाती है..यह समस्त शस्य श्यामला वसुधा एक ही है ओर इस पर रहने वाले लोग एक ही परिवार के सदस्य है ,इस अवधारणा का पल्लवन ही वैर ओर वैमनस्य की विभीषिका को दूर करने में सहायक ह़ो सकता है..जिस दिन पृथ्वी के सभी वाशिंदे धर्म,संप्रदाय,रंग ओर भाषा के विभेद भुलाकर एक परिवार की तरह आचरण करने लगेंगे,संभवतः उसी दिन सच्ची मानवता का उदय होगा..
समस्त सामाजिक संगठन मिल कर इस बिल के खिलाफ मुहिम का आगाज करे तथा मिडिया का सहयोग वांछित सफलता प्रदत्त करवाने में सहभागी बने ,यही शुभेच्छा है..आप चाहे तो इसे पाठक पीठ में भी प्रकाशित कर सकते है...

सधन्यवाद

--
सज्जन राज मेहता
सामाजिक कार्यकर्ता
बन्गलोर
09845501150

No comments:

Post a Comment