Saturday, March 19, 2011

पुराने बंगलोर शहर को संरक्षित रखे

पुराने बंगलोर शहर को संरक्षित रखे

कर्नाटक सरकार ने बंगलोर को विश्व मानचित्र में एक महत्वपूर्ण मुकाम हासिल कराने के लिए और बुनियादी सुविधाओ युक्त उच्च कोटि का शहर बनाने के लिए काफी कारगर योजनाये जारी की है और उस पर अमल होते ही ढांचागत विकास को अहम् सफलता प्राप्त होगी.इस बजट में बंगलोर के सर्वांगीन विकास के मद्दे नजर विशेष कोष का निर्माण किया गया है . एक अहम् शुरुआत हो चुकी है और मेट्रो रेल, मोनो रेल, कई पुल,कई अंडर पास्सेज और यातायात के साधनों में बढोतरी के प्रस्ताव पारित किये गए है तथा ठोस पहल साफ द्रष्टिगोचर होती है.कई प्रावधानों को असली जामा पहनाया जा चूका है और कुछ पर कार्य गतिशील है..चिंता का विषय यह है कि बंगलोर का पुराना शहर इनसे अछुता रह गया है .शहर का बाहरी हिस्सा तो अत्यंत ही आकर्षक और उसका अंतःकरण (ह्रदय) बड़ा ही कुरूप और घिनौना ,जैसे कोई कनकघट विषरस से भरा हो..यहाँ प्रकृति की हर कला ध्वस्त हो चुकी है और उसके शम्शान पर उभर आयी है एक नई दुनिया..यहाँ पहाड़ की गोद में झरने नहीं मचलते वरन लोहे के यन्त्र से अशुद्ध जल के फव्वारे छुटते है..दूर-दूर बाहरी क्षेत्रो की तरह गंधमाती हवा तन-मन में स्फूर्ति पैदा नहीं करती वरन कैद हवा ही विद्युत यंत्रो के द्वारा चक्कर काटती है..यहाँ पक्षियो की नैसर्गिक रागिनी नहीं सुनाई पड़ती वरन कर्नस्फार ध्वनि विस्तार यंत्रो से बेताल राग चीखता है.
"जिस मुंडेर पर कभी चाँद खिला करते थे
उसी मुंडेर पर आज दीये भी नहीं जलते."

पुराना शहर एक गौरवशाली व्यापारिक केंद्र है जहाँ हजारो की तादाद में फुटकर व थोक व्यापारी बरसों से बिना किसी लाग -लपेट के निरंतर अपनी जीविका चला रहे है तथा राज्य और केंद्र सरकार के खजाने में राजस्व के योगदान से अपना व्यापारिक धर्म बड़े ही सलीके से कर रहे है..कई जरुरत की चीजे जैसे परिधान उद्योग,कपडा,चुडिया ,बिजली के उपकरण, कागज़,गोल्ड ज्वेलरी और रसायन की चीजे प्रमुख है ..समूचा कर्णाटक के वाशिंदों को सहज और सुलभ तथा रियायती दरों पर उपलब्ध होने का एक मात्र यहीं ठिकाना है..एक नागरिक को जो मुलभुत सुविधाए हासिल होनी चाहिए उनकी कमी यहाँ महसूस की जा रही है ..कारण? इसके चलते धीरे-धीरे व्यापार मंदी की चपेट में आता ही जा रहा है और मंदी को रोकने के लिए पुराने शहर को उसके अधिकार दिलाकर व्यापारियो के साथ-साथ यहाँ के निवासिओं को भी सुकून दिलाने का लक्ष्य हासिल करना है..समय-समय पर यहाँ के पार्षदों,विधायकों,और लोक सभा सदस्यों का ध्यान आकर्षित किया गया है ,मीडिया ने भी कई बार हमारी तकलीफों को प्रकाशित किया है, कुछ कारवाई भी हुई पर ऊँट के मुँह में जीरे के बराबर.नितांत आवश्यकता है कि इसे संरक्षित किये जाने पर खुली बहस हो और सभी को एक सूत्र में पिरोंकर बंगलोर के सर्वांगीन विकास को गति प्रदान करे .

हमें सदा स्मरण रखना चाहिए कि अच्छा शहर अपने शरीर जैसा है.यदि उसका एक अंग दुर्बल है सारा शरीर दुर्बल रहेगा .एक जगह रक्तप्रवाह रुक जाए तो संपूर्ण शरीर का अस्तित्व संदेह जनक हो जायेगा .जिस समाज ने हमें मानव या नागरिक कहलाने का अधिकार दिया.स्रष्टि का सर्वोतम वरदान बनने के अनुकूल बनाया उसके प्रति हमारा भी कुछ उत्तरदायित्व बनता है..गंभीर चिंतन और उस पर निर्णय की घडी में हमारी भागीदारी - साझेदारी जरुरी है..खाली राजनीतिज्ञों और सरकारी अधिकारिओं के भरोसे ही नहीं - हमें भी सक्रियता बरतते हुए एक समन्वय समिति बनाकर सबको साथ लेकर चलने की प्रकिया का श्रीगणेश करना चाहिए..व्यापारिक संगठनो,महानगर पालिका,विद्युत विभाग,जलदाय विभाग,पुलिस विभाग और सामाजिक संगठनो का समन्वय पुराने शहर के समुचित रख-रखाव में,उसकी सुन्दरता को निखारने में लाभदायक होगा .तथ्यों के संकलन द्वारा,सही समझ के साथ सही दिशा में योजनों का संपादन उत्कृष्ट नतीजे प्रदान करेगा..स्वप्न के घेवर से पेट नहीं भरता है , कल्पना मात्र से कार्य साकार नहीं होता है .

अंततोगत्वा आज समन्वित प्रयासों की जरुरत है, विश्लेषण की जरुरत है..यदि समन्वय की चेतना जागती है तो यह स्वप्न साकार हो सकता है..हम क्या कर सकते है- हमारी पहल क्या उपलब्ध करा सकती है- निजी और सरकारी संगठन के सटीक तालमेल से क्या कराया जा सकता है..एक नजर ....
*ज्यादा से ज्यादा सुलभ शौचालयों का निर्माण..
*पार्किंग कोम्प्लेक्सेज का निर्माण..
*दुकानों की परिधि के बाहर वस्तुओं के प्रदर्शन पर रोक..
*नई बन रही इमारतों में या वापस निर्माण की जा रही जगहों में नक्शे के अनुरूप ही निर्माण.
*बारिश के पानी का सदुपयोग हेतु व्यवस्था.
*पुराने पार्किंग कोम्प्लेक्सेज और विशेषकर सिटी मार्केट का सही रखरखाव..
*शहरी क्षेत्र में छोटी बसों को चलाने की योजना को असली जामा पहनाना.
*शहर में व्यवसाय कर रही ट्रांसपोर्ट कंपनियों को स्थानांतरित करना .
*बारिश के दौरान विशेषकर वैज्ञानिक तरीको से नालो का रखरखाव.
*तंग गलियों में सीमित पार्किंग का प्रबंधन.
*भिन्न भिन्न सरकारी संस्थानों में बेहतर समन्वय..
*समूचे क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट्स का इंतजाम..
*करीब ५० साल पुराने नालो को बदलकर उन्हें नया रूप प्रदान करना.
*प्रीपेड ऑटो की व्यवस्था..
*क्षेत्र में जगह जगह छोटी छोटी फुलवारिओं या बगीचे का निर्माण.
*समय समय पर व्यापारिक संगठनो और सामाजिक संगठनो से विचार विमर्श.
*मेट्रो की जगहों पर समुचित व्यवस्था अभी से कर दिया जाये..आदि आदि

रातों रात पुराने शहर को नए शहर में तब्दील कराने का स्वप्न तो हम नहीं संजो सकते परन्तु छोटी छोटी पहल कर हम शनेःशनेः बदलाव की प्रक्रिया आरम्भ करवा सकते है..यातायात में बदलाव, पार्किंग की सुविधाओ में एकरूपता तथा नागरिकों का जन समर्थन व्यापक सुधार की इस मुहिम में अहम् साबित होगा तथा व्यापार में कुछ तेजी के साथ सरकार के खजाने में भी बढोतरी होगी..मेट्रो रेल और मोनो रेल के बारे में ज्यादा जानकारी तो जनता जनार्दन को प्राप्त नहीं है परन्तु हमारी आकांषा तो यही है की हम सुधार में सहभागी बने , हमारी सहभागिता सरकार आगे बढ़कर हासिल करे .हम किसी कीमत पर अब मुलभुत सुविधाओ से वंचित नहीं रहना चाहते और सरकार देर सवेर ही सही पर जागे..

उधेश्य हमारा उन रिहायशी इलाको के ग्राहकों को वापस इस क्षेत्र में बतौर ग्राहक बुलाने का है जो इन सुविधाओ की कमी के फलस्वरूप अन्य जगहों पर अपनी आवश्यकताओ की पूर्ति कर रहे है..अडोस - पड़ोस के ग्राम वासिओं के ताने और फटकार सुन सुन कर हमारे कान पाक चुके है ..उन्हें यह दिखाना है कि इंसान की सकारात्मक सोच उसके मुरझाये चेहरों पर मुस्कान की मन्दाकिनी बिखेर सकती है ..सरकार और सरकार के वाशिंदों को सदा जगाते रहने की अनवरत प्रक्रिया निहसंदेह हमें कामयाबी के शिखर पर खडा पायेगी और हमारे अपने इस पुराने शहर के कायाकल्प में सुनहरा परिवर्तन ला देगी..जरुरत है हम सजग रहे,सहयोग की प्रबल भावना रखे,सतत प्रयासों में तत्परता लाये, निस्वार्थ परोपकार की अभिलाषा रखे तथा जनहित की भावना से औत प्रोत होकर जन-जन के घरो में खुशियों के दीपक जलाने में पूरा सामर्थ्य झोंक दे.सफलता के पायदान पर पायदान चढ़ते रहे..सरकार के साथ सौहार्दपूर्ण व्यव्हार हमें आशातीत नतीजे प्रदान करेगा और हम सुकून से ज्यादा से ज्यादा नैसर्गिक वातावरण में चैन की सांस लेंगे..नागरिको के जाग्रत विवेक का निर्णय जब संकल्प का रूप धारण कर लेता है तो वे भगीरथ प्रयासों के बलबूते पर सही दिशा में अग्रसर रहकर दशा में आशानुरूप सुधार प्राप्त कर सकते है ..

सज्जन राज मेहता
सामाजिक कार्यकर्ता

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